उत्तराखंड की विस्तृत खबर (26 दिसंबर) - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 26 दिसंबर 2015

उत्तराखंड की विस्तृत खबर (26 दिसंबर)

वनमंत्री के बेटे का स्टोन क्रेशर बना सरकार का सिरदर्द

uttrakhand news
देहरादून,26 दिसम्बर: जहाँ एक तरफ मातृसदन हरिद्वार के स्वामी शिवानंद सरस्वती ने प्रदेश से वन एवं पर्यावरण मंत्री को अवैध खनन कराए जाने और अवैध तरीके से अपने बेटे के नाम पर स्टोन क्रेशऱ लगाए जाने के आरोप को तेज़ कर दिया है वहीँ भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखंड के वन मंत्री दिनेश अग्रवाल के बहाने हरीश रावत सरकार की घेराबंदी भी शुरू कर दी है। वहीँ एक ही दिन में वन मंत्री के बेटे के नाम पर स्टोन क्रेशर की स्वीकृति भी विवादों के घेरे में आ गयी है। दिनेश अग्रवाल पर अवैध खनन कराए जाने और अवैध तरीके से अपने बेटे के नाम पर स्टोन क्रेशऱ लगाए जाने के आरोप लग रहे हैं। उत्तराखंड भाजपा और गंगा की रक्षा के लिए काम करने वाली संस्था मातृसदन ने वनमंत्री अग्रवाल की घेराबंदी करते हुए आरोप लगाया कि अग्रवाल ने अवैध तरीके से अपने बेटे के नाम पर स्टोन क्रेशर लगाया और वे गंगा नदी व वन विभाग की बरसाती नदियों में ताबड़तोड़ व अवैध खनन करा रहे हैं। वहीँ भाजपा के उत्तराखंड प्रदेश के महामंत्री और पूर्वमंत्री प्रकाश पंत ने आरोप लगाया कि हरीश रावत सरकार के वनमंत्री दिनेश अग्रवाल ने कायदे कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुए गलत तरीके से अपने बेटे के नाम से हरिद्वार में स्टोन क्रेशर लगवाया। पंत ने कहा कि मुख्यमंत्री हरीश रावत को वन मंत्री अग्रवाल को मंत्री पद से बर्खास्त कर देना चाहिए। पंत ने कहा कि क्या ही अच्छा होता यदि अग्रवाल नैतिकता के आधार पर अपना इस्तीफा दे देते। मातृसदन के संचालक स्वामी शिवानंद सरस्वती ने वन मंत्री अग्रवाल पर नियमों का उल्लंघन कर गलत दस्तावेजों के आधार पर स्टोन क्रेशर लगाने का आरोप लगाया। इस बाबत गलत दस्तावेज जारी करने वाले अफसरों के खिलाफ भी मातृसदन ने कड़ी कार्यवाही की मांग की। स्वामी शिवानंद सरस्वती ने आरोप लगाया कि अग्रवाल ने राज्य में 2012 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद अपने बेटे के नाम से 29 जनवरी 2013 को हरिद्वार के पीली क्षेत्र में स्टोन क्रेशर लगाने के लिए आवेदन करवाया था। उन्होंने कहा कि मजे की बात यह है कि हरिद्वार में तैनात तब के जिलाधिकारी, जिला वन अधिकारी और पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड के अफसरों ने एक ही दिन में जांच पूरी कर दी। जबकि अन्य के माले में विबाग इतनी तेज़ी कभी भी नहीं दिखता और लोगों की जुटे की एडियाँ तक घिस जाती हैं। मातृसदन का कहना है कि जिले के आला अधिकारियों ने राज्य सरकार को यह रिपोर्ट भेजी कि जहां पर अग्रवाल के बेटे ने स्टोन क्रेशर लगाने की इजाजत मांगी है कि वह जगह गंगा से 500 मीटर की दूरी पर है। जबकि यह क्रेशर गंगा से मात्र 300 मीटर के भीतर है। सबसे चौकाने वाली बात तो यह है कि क्रेशर के लिए ली गई जमीन में अग्रवाल के बेटे ने जो दस्तावेज लगाए है। उनमें उसने स्वयं को सजनपुरी पीली नदी थाना श्यामपुर ,जनपद हरिद्वार का निवासी बताया है। जबकि पीली नदी में सिवाय खनन मजदूरों के वह भी झुग्गी –झोपड़ियों में , के अलावा कोई नहीं रहता है। वहीँ  जमीन के सहमति पत्र में 33 रेसकोर्स रोड देहरादून का पता लिखा गया है। यह पता वनमंत्री दिनेश अग्रवाल के अपने घर का है। उन्होंने कहा कि गंगा और वन विभाग की नदियों में अवैध खनन का खेल हो रहा है और अधिकारी मंत्री के दबाव में कोई कारवाई नहीं कर पा रहे हैं। मातृसदन ने आरोप लगाया कि वन मंत्री अग्रवाल को फायदा पहुंचाने के लिए प्रदेश सरकार ने खनन नीति के नियम ही बदल डाले। 2015 की खनन नीति में स्टोन क्रेशर लगाने के लिए गंगा नदी से 500 मीटर की दूरी को 300 मीटर कर दिया। वन मंत्री का पीली गांव में लगा स्टोन क्रेशर झिलमिल झील और राजाजी टाईगर रिजर्व पार्क के बेहद नजदीक है। मातृसदन और भाजपा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित कांग्रेस के अध्यक्ष की जांच रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि अपनी सरकार के केवल एक मंत्री पर ही राज्य सरकार इतनी मेहरबान क्यों है। जिस तरह से पर्यावरण की रक्षा के लिए लड़ने-भिड़ने वाली संस्था मातृसदन वन मंत्री अग्रवाल के पीछे पड़ गई है। इससे वन मंत्री के कारनामों के कारण रावत सरकार की मुश्किलें और भी ज्यादा बढ़ गई हैं।

किशोर की क्लीन चित संदेहास्पद !
मामले में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि उन्होंने पार्टी की एक जांच कमेटी से अग्रवाल के स्टोन क्रेशर के सभी कागजातों की जांच करवाई थी। जिसमें यह पाया गया है कि अग्रवाल ने स्टोन क्रेशर लगाने के लिए कायदे कानून का कोई उल्लंघन नहीं किया।


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