- भाजपा के नक्शेकदम पर चल रही है बिहार की महागठबंधन सरकार
- 25 जनवरी को गांव-पंचायतों में मशाल जुलूस, 29 जनवरी को प्रख्ंाड मुख्यालय और 9 फरवरी को जिला मुख्यालयों पर धरना
- किसानों खासकर बटाईदार किसानों के धान क्रय के सवाल पर 24 जनवरी को चक्का जाम.
पटना 18 जनवरी 2015, भाकपा-माले राज्य कार्यालय में आयोजित दो दिवसीय राज्य स्थायी समिति की बैठक आज संपन्न हो गयी. दो दिवसीय बैठक के ॅफैसलों की जानकारी माले राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेन्द्र झा और अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव व पूर्व विधायक राजाराम सिंह ने संयुक्त रूप से दी. नेताओं ने कहा कि पंचायत चुनाव को दलीय आधार पर करवाने के सवाल पर हमने राज्यव्यापी आंदोलन चलाने का निर्णय किया है. इसके अलावा इसमें पंचायत चुनाव अभ्यर्थी के लिए शौचालय की शर्त वापस लेने की भी मांग की जाएगी. इन सवालों पर गांव-पंचायतों में 25 जनवरी को मशाल जुलूस, 29 जनवरी को प्रखंड मुख्यालय और 9 फरवरी को जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया जाएगा. नेताओं ने कहा कि दलीय आधार पर चुनाव न करवाके और शौचालय की शर्त लादकर पंचायत चुनाव मे दलितों-गरीबों को बाहर करने की साजिश रची जा रही है, जबकि पंचायतों को और ज्यादा मजबूत व जवाबदेह बनाये जाने की जरूरत है. दलितों-गरीबों के संवैधानिक अधिकारों पर हमले का हमारी पार्टी और खेमस जबरदस्त प्रतिरोध करेगी.
उन्होंने यह भी कहा कि बिहार की महागठबंधन की सरकार भाजपा सरकार के नक्शे कदम पर चल रही है. यह न केवल गरीबों से विश्वासघात कर रही है, बल्कि आम जनता पर महंगाई भी थोप रही है. नीतीश सरकार को महंगाई बढ़ाने, जरूरी सामानों पर टैक्स वृद्धि के लिए जनादेश नहीं मिला है. बटाईदारों-पट्टेदारों को किसान का दर्जा देनें, समय पर किसानों का धान खरीदने, 500 रु. प्रति क्विंटल बोनस देने आदि सवालों पर भाकपा-माले व अखिल भारतीय किसान महासभा के बैनर से राज्यव्यापी आंदोलन चलेगा और आगामी 24 जनवरी को पूरे बिहार में चक्का जाम किया जाएगा. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा गठित लागत मूल्य आयोग ने प्रति क्विंटल धान की पैदावार पर औसत लागत 1600 रु. तय तय किया था, लेकिन लागत का डेढ़ गुणा समर्थन मूल्य देने का वादा करने वाली केंद्र सरकार ने लागत मूल्य आयोगों द्वारा निर्धारित लागत से भी कम 1410 रु. प्रति क्विंटल धान का समर्थन मूल्य निर्धारित किया है तथा कृषि क्षेत्र में सरकारी निवेश व अनुदान घटाने और देशी-विदेशी पूंजी निवेश के लिए दरवाजा खोलने का निर्णय लिया है, जिससे कृषि संकट और भी ज्यादा गहरा होगा. वहीं बिहार की सरकार पिछले वर्षों की भांति इस वर्ष भी छोटे-मंझोले किसानों, बटाईदारों से उनके जरूरत के समय दिसंबर-जनवरी में धान नहीं खरीद करने के लिए नियमों को और सख्त बना दिया है, जबकि धान खरीदने वाले नियमों को आसान करने की जरूरत थी. इस तरह बिचैलियों का राज बदस्तूर जारी रहेगा. हम इसकी जोरदार मुखालफत करते हेैं.
बैठक में माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य सहित राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो सदस्य काॅ. अमर, काॅ. धाीरेन्द्र झा, केंद्रीय कमिटी सदस्य काॅ. नंदकिशोर प्रसाद, रामजतन शर्मा, मीना तिवारी, राजाराम सिंह, रामेश्वर प्रसाद, केडी यादव, महबूब आलम, सरोज चैबे, शशि यादव, जवाहर लाल सिंह, इंद्रजीत चैरसिया, महानंद, संतोष सहर, अनवर हुसैन, मनोहर तथा कई जिला सचिवों ने भाग लिया.

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