- प्रतिस्पर्धा के बीच खूब लड़े पेंच, पूरे दिन भाक्काटे की रही गूंज
- देश भर में मकर संक्रांति की रही धूम, करोड़ों आस्थावानों लगाई डुबकी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गृहराज्य गुजरात से आएं आकर्षक व रंग-बिरंगी डिजाइन वालें पतंग उनके संसदीय क्षेत्र काशी के आसमान में छाए रहे। मौका था मकर संक्राति पर पतंग उड़ाने का। इसके अलावा राजधानी दिल्ली, यूपी, एमपी, बिहार, झारखंड सहित देश के सभी भागों में आसमान रंग-बिरंगे पतंगों से भरा रहा। बच्चों और बुजुर्गों ने भी पतंगबाजी के खूब मजे लिए। इसी के साथ देशभर के शहर से लेकर देहात तक में लाखो-करोड़ों आस्थावानों ने दान-पूण्य का पर्व मकर संक्रांति के अवसर पर गंगा, नदियों, तालाबों में स्नान किया। इस दौरान लोगों पर ठंड का कोई असर नहीं दिखा। उघारे बदन स्नान-ध्यान व सूर्य को जल देने के बाद मंदिरों में पूजा अर्चना की। धर्म एवं आस्था की नगरी काशी, प्रयाग व हरिद्वार के घाटों पर लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाकर तिल और गुड़ का दान कर पुण्य की प्राप्ति की। पश्चिम बंगाल के गंगासागर में तो डूबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं का रेला उमड़ा। जगह-जगह आयोजित होने वाले मेलों एवं अन्य सभी जगहों के सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।
मकर संक्रांति के दिन ही सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है जिसे देवताओं का दिन माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान कर भगवान सूर्य को जल देने के साथ ही तिल और गुड़ का दान देने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन किसान नयी फसल होने के अवसर पर अपने कृषि उत्पादों के साथ सूर्य की पूजा करते हैं। इस अवसर पर इलाहाबाद में गंगा-जमुना-सरस्वती के संगम पर लाखों लोगों ने स्नान किया। गंगा-यमुना के संगम के किनारे लेटे बजरंगबलि सहित सभी मंदिरों में लोगों की लंबी लाइनें दिखी। मकर संक्रांति के अवसर पर संगम स्नान की महत्ता के बारे में कहा जाता है, महाभारत काल में गंगा पुत्र भीष्म को अर्जुन ने अपने बाण से घायल कर दिया था। भीष्म को इच्छा मृत्यु का वरदान था, इसलिए उन्होंने कहा था कि जब सूर्य उत्तरायण होगा, तभी वह अपने प्राण त्यागेंगे। उन्होंने बताया कि ऐसी धार्मिक मान्यता है कि उत्तरायण सूर्य में प्राण त्यागने वाले को बैकुंठ की प्राप्ति होती है। पश्चिम बंगाल में सागर द्वीप में हर साल लगने वाले गंगासागर मेले में आठ लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने गंगा नदी और बंगाल की खाड़ी में डुबकी लगायी। तमिलनाडु में पोंगल का आयोजन कर लोहड़ी और मकर संक्रांति पर्व मनाया गया। राज्य में लोगों तमिल माह ‘थाई’ का स्वागत करने के लिए रंग-बिरंगी रंगोलियां बनाईं। घरों को पाम के पत्तों और फूलों से सजाया गया था। विशेष व्यंजन बनाए गए थे।
हरिद्वार में हर-की-पैड़ी पर आज करीब एक लाख श्रद्धालुओं ने गंगा नदी में पवित्र स्नान किया। हरिद्वार पहुंचने वालों में ज्यादातर श्रद्धालु हरियाणा, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश के निवासी थे। पंडितों का कहना है कि सूर्य के धनु से मकर राशि में जाने से ‘खरमास’ भी समाप्त हो जाता है और शुभ कार्य प्रारंभ हो जाते हैं। पंडित श्रीपति शास्त्री के मुताबिक, ‘‘जो लोग मकर संक्रांति की सुबह गंगा स्नान के बाद भगवान भास्कर को तिल का भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करते हैं, उन पर भगवान भास्कर की कृपा बनी रहती है।’’ मकर संक्रांति के दिन चूड़ा-दही तथा तिलकुट खाने की भी परंपरा है। इस दिन तिल खाने और तिल दान में देने को भी शुभ माना जाता है। मध्य प्रदेश के होशंगाबाद, जबलपुर और अमरकंटक में नर्मदा नदी पर सुबह से ही श्रद्धालुओं का मेला लगा रहा। शरीर में तिल लगाकर वे नदी में डुबकी लगा रहे। इतना ही नहीं नदियों के तट पर स्थित मंदिरों में पूजा-अर्चना और दान-पुण्य भी किया। इसी तरह उज्जैन में क्षिप्रा नदी में स्नान कर श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल के दरबार में पहुंचकर पूजा-अर्चना की तो ओरछा में बेतवा नदी में पुण्य स्नान के बाद रामराजा के मंदिर में अराधना करने वालों की भारी भीड़ रही। गरीबों और जरूरतमंदों को दान भी किया किया गया। कोई गुड़-तिल के लड्डू तो कोई खिचड़ी दान में दी।
(सुरेश गांधी)


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