जम्मू 12 जनवरी, जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (आर ) के अध्यक्ष फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे ने कहा है कि जम्मू कश्मीर मसले पर वार्ता प्रक्रिया में कश्मीरी नेतृत्व को शामिल किये बगैर कोई भी समझौता सफल नहीं हो सकता। हुर्रियत कांफ्रेंस के घटक दल जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (आर ) के प्रमुख ने यूनीवार्ता से कहा भारत -पाकिस्तान जम्मू कश्मीर के लोगों पर जो भी समझौता थोपने की कोशिश करेंगे वह विफल साबित होगा । वर्ष 1996 में एकतरफा संघर्ष विराम करने वाले अलगाववादी नेता ने कहा कि उनका संगठन कश्मीर मसले के हल के लिए शांतिपूर्ण बातचीत का पक्षधर है लेकिन कश्मीर नेतृत्व यानी अलगाववादियों को वार्ता प्रक्रिया में शामिल किये बगैर कोई भी बातचीत सफल नहीं हो सकती । कश्मीर के द्विपक्षीय मामला होने सम्बन्धी शिमला समझौते का जिक्र करने पर उन्होंने कहा कि वह कश्मीर पर सिर्फ 1948 के प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं जिसमें जम्मू कश्मीर के लोगों को भारत या पाकिस्तान में शामिल होने या स्वतंत्र रहने का विकल्प दिया गया था।
जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (आर ) के अध्यक्ष फारूक अहमद डार ने कहा कि भारत –पाकिस्तान को लचीला रूख अपनाते हुए कश्मीरी नेताओं को वार्ता प्रक्रिया में शामिल करके सार्थक एवं फलदायी बातचीत करनी चाहिए।तभी कश्मीर मसले का स्थायी समाधान संभव है । इस मसले के हल के बगैर शांति संभव नहीं है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लाहौर यात्रा का स्वागत करते हुए डार ने कहा कि यदि श्री मोदी इतिहास में अपना नाम दर्ज कराना चाहते हैं तो उन्हें कश्मीर मसले का गंभीरतापूर्वक समाधान निकालना चाहिए । इसके लिए केंद्र सबसे पहले कश्मीर को विवादित क्षेत्र स्वीकार करे, राज्य से सेना हटाये और हिरासत में कैद कश्मीरी नेताओं को रिहा करे । अलगाववादी नेता ने कहा कि उनके संगठन का मानना है कि जम्मू कश्मीर की 1947 की भौगोलिक स्थिति बहाल करके रियासत के लोगों की राय जानी जाय 1

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