विशेष : मौत ने राजेश विवेक से ‘लगान’ ले लिया - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 19 जनवरी 2016

विशेष : मौत ने राजेश विवेक से ‘लगान’ ले लिया

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सुना है वीराना का कोई खतरनाक किरदार आज दुनिया को अलविदा कह गया है, हां कानों के पास से ये भी खबर गुजरी है कि लगान का वो बाबा हमेशा हमेशा के लिए चला गया. ओह्ह क्या हुआ. दरअसल हम यहां बात कर रहे हैं राजेश विवेक की. जिन्होंने तांत्रिक और बाबा के रोल में अपनी एक अलग पहचान बना ली थी. राजेश विवेक अब यादों में शरीक हो गए हैं..

तो कैसे हुई शुरूआत
उत्तर प्रदेश में 31 जनवरी 1949 को जन्मे राजेश विवेक ने जौनपुर से एमए किया. राजेश ने दिल्ली के नेशनल स्कूल आफ ड्रामा में थिएटर की पढ़ाई पूरी की. राजेश की रूचि का पता उनके किरदारों के प्रति प्रेम से लगाया जा सकता है. 

शूटिंग के दौरान आया हार्ट अटैक 
राजेश विवेक साउथ इंडियन फिल्म की शूटिंग कर रहे थे कि अचानक उन्हें हार्ट अटैक आया और झटपट उन्हें हैदराबाद अस्पताल में भर्ती कराया गया.

आमिर ने दी श्रद्धांजलि 
आमिर खान के फेसबुक पेज पर राजेश विवेक की आसमयिक मृत्यु पर शोक जताते हुए लिखा गया कि कल हमने लगान परिवार का एक सदस्य खो दिया. बाबा आप हमेशा हमारे दिल में रहोगे. आपकी ऊर्जा, प्यार और इंसानियत हमें हमेशा प्रेरित करती रहेगी. 

दूजा न होगा तेरे जैसा
बॉलीवुड एक्टर यशपाल शर्मा ने ट्विटर के जरिए श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि जीवन में उन्हें राजेश जैसा जमीन से जुड़ा इंसान नहीं मिला. 

किरदारों में अमर हो गए विवेक
राजेश विवेक ने प्रसिद्ध धारावाहिक महाभारत, अघोरी, भारत एक खोज में काम करके जहां छोटे पर्दे पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है. वहीं बड़े पर्दे पर त्रिदेव, अग्निपथ, राम तेरी गंगा मैली और कच्चे धागे जैसी 30 से भी अधिक फिल्मों में नजर आए और अपने अभिनय से सबको अपना दीवाना बना लिया. टीवी धारावाहिक ‘महाभारत’, ‘भारत एक खोज’ और ‘अघोरी’ के उनके किरदार यादगार हैं.

‘जुनून’ ने फिल्मों का जुनून भर दिया
विवेक ने पहली बार श्याम बेनेगल की फिल्म जुनून में सन् 1978 में काम किया. या कहें कि विवेक जुनून फिल्म से किरदार बन गए. पर, विवेक ने कभी भी किरदार को किरदार की तरह नहीं बल्कि जिंदगी की हकीकत की तरह निभाया. 

वीराना अब असल में वीराना हो गई. एक जमाना खो गया है. एक अघोरी, एक बाबा अपने किरदार के श्मशाम में कहीं खो गया. लेकिन आप हमारी आंखों में जीवित रहेंगे. सदा सदा के लिए. आप जब भी किरदारों से हमारी यादों को खटखटाएंगे तब हम यही कहेंगे कि ये हैं हमारे राजेश विवेक जी, जो किरदारों को किरदारों की तरह नहीं बल्कि असल जिंदगी की तरह निभाते थे. 




हिमांशु तिवारी आत्मीय
आर्यावर्त, यूपी हेड    

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