नयी दिल्ली 02 जनवरी, सरकार ने दो महीने में तीसरी बार पेट्रोल तथा डीजल पर उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी की है, लेकिन तेल विपणन कंपनियों ने इस बढ़ोतरी का बोझ उपभोक्ताओं पर नहीं डालने का फैसला किया है। केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड ने एक अधिसूचना जारी कर कहा कि 02 जनवरी से डीजल का उत्पाद शुल्क दो रुपये तथा पेट्रोल का 37 पैसे प्रति लीटर बढ़ा दिया गया है। अब ब्रांडेड डीजल पर मूल उत्पाद शुल्क 8.19 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 10.19 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया है, जबकि ब्रांडेड पेट्रोल पर मूल उत्पाद शुल्क 8.54 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर 8.91 रुपये प्रति लीटर हो गया है। इस प्रकार डीजल की कीमत में विशिष्ट उत्पाद शुल्क (मूल उत्पाद शुल्क समेत) 13.83 रुपये प्रति लीटर तथा पेट्रोल पर विशिष्ट उत्पाद शुल्क 19.73 रुपये प्रति लीटर हो गया है। गत 15 दिसंबर और 31 दिसंबर की नियमित समीक्षा में तेल विपणन कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल के दाम में उम्मीद से काफी कम कटौती की थी। इसका कारण सरकार द्वारा पहले की उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी की मंशा कंपनियों पर जाहिर कर देना रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का लाभ उठाते हुये राजस्व घाटा कम करने के लिए सरकार ने गत 07 नवंबर से अब तक तीन बार पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में बढ़ाया है। 07 नवंबर को पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 1.60 रुपये तथा डीजल पर 30 पैसे प्रति लीटर बढ़ाया गया था, जबकि 16 दिसंबर को इनमें क्रमश: 30 पैसे तथा 1.17 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गयी थी। सरकार ने इससे पहले नवंबर 2014 से जनवरी 2015 के बीच भी चार बार में पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 7.75 रुपये तथा डीजल पर 6.50 रुपये प्रति लीटर बढ़ाया था। इस प्रकार मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से सात बार में पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 11.02 रुपये तथा डीजल पर 9.97 रुपये प्रति लीटर बढ़ चुका है। सरकार के उत्पाद शुल्क बढ़ाने के कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आयी भारी गिरावट का पूरा लाभ घरेलू उपभोक्ताओं को नहीं मिल सका है। जून 2014 में 115 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुँच चुका कच्चा तेल अब 37 डॉलर प्रति बैरल के आसपास तक उतर चुका है जो लगभग 11 साल का निचला स्तर है।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें