पटना 23 फरवरी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण संबंधी ताजा बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते आज कहा कि संघ की मानसिकता दलित एवं पिछड़ा वर्ग विरोधी है और वह इन वर्गों को मिले आरक्षण को समाप्त करना चाहती है। श्री कुमार ने यहां मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद पत्रकारों से कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव के पहले भी श्री भागवत ने आरक्षण को लेकर बयान दिया था और कहा था कि इस पर विचार के लिए एक गैर राजनीतिक समिति बननी चाहिये। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो संघ और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता संविधान निर्माता बाबा साहेब डा. भीमराव अंबेडकर के चित्र पर माल्यार्पण करते हैं तो दूसरी तरफ वे संविधान को समाप्त करने पर तुले हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आरक्षण के बारे संघ प्रमुख ने जो कहा है और उनके जो विचार हैं वहीं भाजपा की भी सोच है। सार्वजनिक रूप से मौके-बेमौके संघ और भाजपा एक दूसरे से दूरी बनाकर रखते हैं लेकिन यह दिखावटी होती है। केन्द्र सरकार में आज जो लोग शामिल हैं, उनकी विचारधारा वही है जो संघ की है। उनका वक्तव्यों से स्पष्ट है कि वे दलितों, आदिवासियों एवं पिछड़ों को मिले आरक्षण से खुश नहीं हैं और समिति की आड़ में आरक्षण को समाप्त करना चाहते हैं।
जाट आरक्षण को लेकर पूछे एक सवाल पर मुख्यंमत्री ने कहा कि हरियाणा में सत्तारूढ़ भाजपा ने चुनाव के दौरान जाटों को आरक्षण देने का वादा था लेकिन अबतक वे इसे टालते जा रहे थे। इस प्रकार की परिस्थिति की पूरी जिम्मेवारी वहां के सरकार और भाजपा नेताओं की है। उन्होंने कहा कि भाजपा के कुछ नेता जाट समाज के खिलाफ बयानबाजी करने लगे तो जाटों की भावनायें भड़क गयी। उन्होंने हरियाणावासियों से शांति बनाये रखने की अपील करते हुए कहा कि अहिंसा के रास्ते अपनी बातें सरकार के समक्ष रखें । उन्होंने हरियाणा के वर्तमान हालात के लिए केन्द्र को भी समान रूप से जिम्मेवार ठहराया। श्री कुमार ने कहा कि आर्थिक मोर्चे पर पूरी तरह असफल नरेन्द्र मोदी सरकार देश को भावनात्मक मुद्दों में उलझाकर लोगों का ध्यान भटकाना चाहती है । भाजपा अपने विचार लोगों पर थोपना चाहती हैं, लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिलेगी। उल्लेखनीय है कि हरियाणा में आरक्षण की मांग को लेकर जाटों द्वारा जारी आंदोलन के बीच संघ प्रमुख श्री भागवत ने कल कोलकाता में कहा था कि आरक्षण की पात्रता पर फैसला करने के लिए एक गैर-राजनीति समिति का गठन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बहुत सारे लोग आरक्षण की मांग कर रहे हैं। उन्हें लगता है कि आरक्षण की पात्रता पर फैसला करने के लिए एक समिति का गठन किया जाना चाहिए जो गैर-राजनीतिक होनी चाहिए ताकि उसमें कोई निहित स्वार्थ शामिल न हो।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें