नयी दिल्ली, 23 फरवरी, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रकरण पर विपक्षी दलों के कड़े तेवरों को देखते हुये मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी संसद में इस मुद्दे पर आक्रामक रवैया अपनाने का फैसला किया है। जेएनयू प्रकरण पर राज्यसभा में कल चर्चा होनी है जबकि लोकसभा में इस पर 25 फरवरी को चर्चा करायी जा सकती है। भाजपा संसदीय दल की कार्यकारिणी और सत्तारूढ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दलों की आज शाम यहां हुई अलग-अलग बैठकों में जेएनयू मामले के सभी पहलुओं की जानकारी दी गयी। दोनों बैठकों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे। सूत्रों के मुताबिक भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, वित्त मंत्री अरुण जेटली और संसदीय कार्यमंत्री एम वेंकैया नायडू ने भाजपा सदस्यों और राजग के नेताओं को सरकार की रणनीति से अवगत कराया। भाजपा संसद के अंदर और बाहर इस मुद्दे को आक्रामक ढंग से उठायेगी। पार्टी का कहना है कि शिक्षण संस्थाओं में राष्ट्र विरोधी नारे बर्दाश्त नहीं किये जा सकते। भाजपा संसदीय दल की कार्यकारिणी की बैठक के बाद संचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार और भाजपा दोनों चाहते हैं कि जेएनयू प्रकरण पर संसद में चर्चा हो। उन्होंने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि वह देश के प्रमुख राजनीतिक दल के नेता हैं और उन्हें देश को बताना पड़ेगा कि वह तथा कांंग्रेस किसके साथ खडे हैं। वे राष्ट्र विरोधी नारे लगाने वालों के साथ हैं या देश के लिए शहीद होने वाले कैप्टन पवन कुमार जैसे सैनिकों के साथ।
कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए श्री प्रसाद ने कहा कि जिस अफजल गुरु की याद में जेएनयू में कार्यक्रम आयोजित किया गया था उसको फांसी पर लटकाने की कानूनी प्रक्रिया पर कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के कार्यकाल में ही हुई थी। श्री गांधी को बताना चाहिए कि क्या वह इस कानूनी प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं। दोनों बैठकों में प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से सरकार के कामकाज और उसकी उपलब्धियों के बारे में एक प्रस्तुति दी गयी। राजग की बैठक में लोक जनशक्ति पार्टी के रामविलास पासवान, शिवसेना के संजय राउत और आनंदराव अडसुल, शिरोमणि अकाली दल के प्रेमसिंह चंदूमाजरा, अपना दल की अनुप्रिया पटेल और स्वाभिमानी दल के राजू शेट्टी मौजूद थे।

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