नयी दिल्ली, 24 फरवरी , जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) विवाद और हैदराबाद विश्वविद्यालय की हाल की घटनाओं को लेकर लोकसभा में आज विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुयी। विपक्ष ने मोदी सरकार पर विरोध की आवाज कुचलने और विश्वविद्यालयों पर संघ परिवार की विचारधारा थोपने का आरोप लगाया जबकि सत्ता पक्ष ने कांग्रेस और वामपंथी दलों को आड़े हाथ लेते हुये कहा कि उन्हें यह बताना पड़ेगा कि वे राष्ट्रवाद के साथ हैं या माओवाद और अफजल गुरु जैसे आतंकवादियों का पक्ष लेने वालों के साथ। कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सदन में जेएनयू तथा हैदराबाद विश्वविद्यालय की हाल की घटनाओं के कारण उत्पन्न स्थिति पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि संसद के पिछले सत्र में संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती मनायी गयी और सरकार ने संविधान पर प्रवचन दिया लेकिन उसकी कथनी और करनी में अंतर है। संसद के भीतर वह संविधान की रक्षा करने की बात करती है लेकिन बाहर संविधान को कुचलने का काम करती है। पिछले दो साल में असहिष्णुता का देश में ऐसा वातावरण बना दिया गया है कि कोई भी खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा है।
आत्महत्या करने वाले हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमुला का मामला उठाते हुए श्री सिंधिया ने कहा कि उन्हें उत्पीडन किया गया और केंद्रीय मंत्रियों ने उनके खिलाफ सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन मंत्रियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। मंत्रिमंडल में इस बात पर चर्चा हुई कि रोहित दलित थे या नहीं। उनके दलित होने या न होने से क्या मंत्रियों का अपराध कम हो जाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि दलित और अल्पसंख्यक छात्रों के साथ विश्वविद्यालयों में भेदभाव हो रहा है। उन्होंने कहा कि जेएनयू ने देश के विकास में अहम भूमिका निभायी है। वहां जो कुछ हुआ उसके लिये विश्वविद्यालय ने एक समिति बनायी है लेकिन सरकार ने उसकी रिपोर्ट का इंतजार नहीं किया और गृह मंत्रालय के इशारे पर दिल्ली पुलिस वहां घुस गयी। जेएनयू में लगे देश विरोधी नारों का कोई समर्थन नहीं कर सकता लेकिन आठ छात्रों के गलत काम पर आप आठ हजार छात्रों को कलंकित नहीं कर सकते। भाजपा के नेता कहते हैं कि जेएनयू शिक्षा के नाम पर कलंक है और इसे बंद कर देना चाहिये। ऐसा इसलिये हो रहा है कि जेएनयू के छात्रों ने दादरी और रोहित वेमूला की आत्महत्या का मामला उठाया था। श्री सिंधिया ने कहा कि मोदी सरकार संघ परिवार की विचारधारा को देश पर थोप रही है और विरोध के स्वरों को कुचल रही है। ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की विरासत वाले इस देश में यह संकीर्ण विचारधारा नहीं चल सकती है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के उत्तराधिकारी आज कांग्रेस को राष्ट्रभक्ति का पाठ पढ़ा रहे हैं। कांग्रेस ने अपने कई नेताओं को देश पर कुर्बान किया है।

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