नयी दिल्ली,23फरवरी, दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज कहा कि देशविरोधी नारे लगाए जाने के मामले में आरोपी जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय(जेएनयू) के छात्र उमर खालिद और अनिरबन भट्टाचार्य को आत्मसमपर्ण करने के साथ ही सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना पड़ेगा। न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी की पीठ ने आरोपी छात्रों की ओर से दाखिल उस याचिका पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया जिसमें उन्होंने अपने पसंद के स्थान पर सुरक्षित आत्मसमर्पण के लिए न्यायालय की ओर से अंतिरम आदेश पारित किए जाने की अपील की थी। न्यायालय ने पसंद के स्थान पर आत्मसमर्पण की अपील तो स्वीकार कर ली और यह भी जानना चाहा कि वे अदालत में आत्मसमर्पण के मौके पर अपने साथ किस वकील को लाना चाहेंगे, लेकिन आत्मसमर्पण के पहले किसी तरह की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक का कोई आदेश पारित करने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने कहा कि अात्मसमर्पण के दौरान याचिकाकर्ताओं की सुरक्षा के मसले पर वह बुधवार को सुनवाई करेगा।
न्यायालय ने इसके साथ ही दिल्ली पुलिस को जेएनयू परिसर में दाखिल होने और खालिद तथा अन्य छात्रों को गिरफ्तार करने के निर्देश की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। यह याचिका एक अधिवक्ता की ओर से दायर की गई थी। इससे पहले पीठ के समक्ष पेश हुई जेएनूय छात्रों की वकील कामिनी जयसवाल ने न्यायालय से कहा कि उनके मुवक्किलों को आत्मसमर्पण के लिए विशेष याचिका इसलिए दाखिल करनी पड़ी क्योंकि जेएनूय छात्र नेता कन्हैया कुमार की पेशी के मौके पर पटियाला अदातल परिसर में उसके साथ जो कुछ हुआ उसे देखते हुए उन्हें अपनी जान का खतरा महसूस हो रहा है। न्यायमूर्ति ने इस मामलें दिल्ली पुलिस के वकील की कोई भी दलील सुनने से इनकार कर दिया और सुनवाई के बाद उन्हें अपने चैंबर में बुलाकर उनसे अलग से बात की। दिल्ली पुलिस ने आरेापी छात्रों को उनके मनमुताबिक स्थान पर आत्मसमपर्ण की इजाजत दिए जाने का कड़ा विरोध किया है।

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