- वाम दलों का राज्यव्यापी प्रतिवाद, पटना में माले ने निकाला मार्च
पटना 23 फरवरी 2016, जेएनयू छात्र नेताओं पर देशद्रोह का मुकदमा व निलंबन वापस लेने तथा दलित स्काॅलर रोहित वेमुला के न्याय के सवाल पर वाम दलों के संयुक्त आह्वान पर आज पूरे राज्य में माले कार्यकर्ताओं ने विरोध मार्च किया. राजधानी पटना में कारिगल चैक से पटना विश्वविद्यालय गेट तक प्रतिरोध मार्च निकाला गया. वहीं सिवान में राष्ट्रव्यापी प्रतिवाद के तहत जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष काॅ. चंद्रशेखर की मूर्ति के समक्ष विशाल जनसभा आयोजित की गयी, जिसे माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य, माले राज्य सचिव कुणाल, पूर्व विधायक काॅ. अमरनाथ यादव आदि नेताओं ने संबोधित किया.
काॅ. दीपंकर ने अपने संबोधन में कहा कि जेएनयू पर निशाना साधकर केंद्र सरकार व संघ परिवार अभिव्यक्ति की आजादी, लोकतंत्र व संविधान पर हमला कर रही है. जेएनयू ऐसा विश्वविद्यालय रहा है, जिसने हमें काॅ. चंद्रशेखर जैसा नेता दिया है. जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष व आइसा नेता काॅ. चंद्रशेखर अपने सारे कैरियर का त्याग कर गरीबों-दलितों-किसानों-आदिवासियों की लड़ाई लड़ने सिवान पहुंचे थे. ऐसे चंद्रशेखर का विश्ववि़द्यालय देशद्रोही गतिविधियों का केंद्र कैसे हो सकता है.
उन्होंने कहा कि दरअसल हैदराबाद विश्वविद्यालय के शोध छात्रा रोहित वेमुला के न्याय के सवाल पर चले देशव्यापी आंदोलन का केंद्र जेएनयू रहा है. इसलिए इस सरकार ने वहां के छात्रों को, पूरे जेएनयू को और वामपंथ को बदनाम कर देश में अंधराष्ट्रवाद पैदा करने की कोशिश की है. यह देश के लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक है. यही वजह है कि केंद्र व संघ परिवार के झूठ व प्रपंच के खिलाफ आज पूरा देश एकताद्ध होकर लड़ रहा है.
उन्होंने कहा कि ये संघी संविधान दिवस मनाते हैं, लेकिन धर्मनिरपेक्षता व लोकतंत्र के मूल्यों पर हमला करते हैं. देश की आजादी, हर प्रकार की राष्ट्रीयता को समान हक, समाज के कमजोर वर्गों की बराबरी का सवाल वामपंथ का प्रमुख एजेंडा रहा है. संघ परिवार के कुत्सित प्रचार अभियान चला लेने भर से इस देश में लोकतंत्र समाप्त नहीं होने वाला. हम भगत सिंह और डाॅ. अंबेडकर के वारिस हैं और इतिहास इस बात का गवाह है कि सामाजिक न्याय, धर्मनिरेपक्षता,लोकतंत्र के सवाल पर चलने वाले संघर्ष में वामपंथी सबसे अगली कतार में रहे हैं.
जेएनयू पर संघी गिरोह का खास निशाना रहा है क्योंकि वह लंबे अर्से से वामपंथी विचारधारा का अभेद्य दुर्ग बना रहा है. लेकिन इसके पहले शैक्षणिक संस्थानों को बर्बाद करने और उसके सांप्रदायिककरण के कई उदाहरण हैं. देश में जब से भाजपा की सरकार आई है, विश्वविद्यालयों के लोकतांत्रिक-वैचारिक माहौल पर हमला किया जा रहा है. न केवल कैंपसों पर हमले किये जा रहे बल्कि प्रतिरोध की हर आवाजा को दबाने की कोशिशें की जा रही हैं और प्रतिरोधी स्वर को देशद्रोही बताया जा रहा है. नरेन्द्र दाभोलकर, गोविंद पांसरे, एमएम कलबुर्गी आदि वैज्ञानिक-सामाजिक कार्यकत्र्ताओं की तो हत्या तक हो चुकी है. समाज का हर वर्ग भय के माहौल में जी रहा है.
उन्होंने आगे कहा कि कम्युनिस्टों के संघ परिवार और मोदी सरकार द्वारा कैंपसों की स्वायत्तता और अभिव्यक्ति की आजादी पर लगातार किया जा रहा हमला बेहद चिंताजनक है. जेएनयू प्रकरण में जिस तरह से वामपंथी छात्र नेताओं को निशाना बनाया गया और उसकी आड़ में पूरे देश में अंधराष्ट्रवाद पैदा करने की कोशिशें की गयीं, उसने देश के लोकतंात्रिक जनमत को गहरी चिंता में डाल दिया है. वाम दल संघ परिवार , केंद्र की मोदी सरकार और मीडिया के एक हिस्से द्वारा उन्माद फैलाने और जेएनयू व वामपंथियों को बदनाम करने की कोशिशों की तीव्र भत्र्सना करती है. देश की अमन व लोकतंत्र पसंद जनता को भाजपा व मोदी सरकार की हकीकत पता है.
पटना में कारगिल चैक से भगत सिंह चैक तक मार्च निकाला गया. इसका नेतृत्व भाकपा-माले के पोलित ब्यूरो सदस्य काॅ. धीरेन्द्र झा, केंद्रीय कमिटी सदस्य सरोज चैबे, शशि यादव, संतोष सहर, कमलेश शर्मा, अभ्युदय, पन्नालाल, रणविजय कुमार, अनुराधा देवी, मुर्तजा अली आदि नेताओं ने किया. काॅ. धीरेन्द्र झा ने कहा कि आज दिल्ली में रोहित वेमुला और जेएनयू के छात्रों के न्याय के सवाल पर बड़ी प्रतिरोध सभा आयोजित है. उसके समर्थन में आज पूरे देश में प्रतिरोध हो रहा है. हम अपनी मजबूत एकता से यह दिखला देंगे कि संघ गिरोह के नापाक मंसूबे इस देश में कभी कामयाब नहीं होने वाले हैं. पटना के अलावा भोजपुर के आरा, पालीगंज, मसौढ़ी, अरवल, दरभंगा, बांका, भागलपुर, जहानाबाद, गया, बक्सर, कैमूर आदि जगहों पर भ्ीा कार्यक्रम किये गये.

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