"मैथिली साहित्यक सम्बर्धन-प्रवासी मैथिलक भूमिका” के विषय पर वार्षिक संगोष्ठी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


सोमवार, 22 फ़रवरी 2016

"मैथिली साहित्यक सम्बर्धन-प्रवासी मैथिलक भूमिका” के विषय पर वार्षिक संगोष्ठी

maithili-sahity-mahasabha-meet
21 फरवरी 2016 रविवार को विश्व मातृभाषा दिवस के अवसर पर मैथिली साहित्य महासभा के तत्वाधान में "मैथिली साहित्यक सम्बर्धन-प्रवासी मैथिलक भूमिका” के विषय पर वार्षिक संगोष्ठी  का आयोजन एन. डी. तिवारी भवन, जवाहर लाल नेशनल युथ सेंटर, 219 दीन दयाल उपाध्याय मार्ग, नई दिल्ली में किया गया। मिथिला के सुविख्यात नाटककार श्री महेन्द्र मलंगिया जी की अध्यक्षता में कार्यक्रम का विधिवत शुरूआत दीप प्रज्वलित कर एवं मिथिला के प्रसिद्ध गायक सुनील पवन, विकाश झा एवं गायिका अंजू झा ने संयुक्त रूप से पारंपरिक गीत जय जय भैरवि गाकर किया। स्वागताध्यक्ष अपने उदबोधन से सभी अतिथियों एवं श्रोताओं का स्वागत किया। इसके ठीक बाद मिथिला मैथिली के लिए विभिन्न क्षेत्र में कार्य करने वाले एवं अनुराग रखने वाले सदस्यों के द्वारा पुष्पगुच्छ एवं संस्था के प्रतीक चिन्ह देकर अतिथियों को सम्मानित किया गया। जैसेे-मुख्य अतिथि मैथिली भोजपूरी अकादमी के उपाध्यक्ष कुमार संजोय को मिथिला रिसर्च फाउंडेशन के संस्थापक नीरज झा ने सम्मानित किया फिर अतिथि साहित्यकारों में डाॅ. गंगेश गुंजन जी एवं नोद नाथ झा जी को डाॅ. भस्कारानंद झा ‘भास्कर’,डाॅ. कामायिनी जी को जगदानंद झा ‘मनु’ श्री वीरेन्द्र मल्लिक जी एवं महेन्द्र मलंगिया जी को कामेश्वर चैधरी, डाॅ. चन्द्रशेखर पासवान जी को विभय कुमार झा, श्री मति मृदुला प्रधान जी को गायक विकास झा, श्री कृष्ण कुमार ‘अन्वेषक’ जी को आंदोलनी मनोज झा, शिरीष चैधरी जीे को ललितेश रौशन झा, कामेश्वर चैधरी जी को संजय झा नागदह विजय चंद्र झा जी को मैलोरंग के निदेशक प्रकाश झा, डाॅ. बीरबल झा जी को मिथिला स्टूडेंट यूनियन के महासचिव कमलेश मिश्र आदि लोगों ने सम्मानित किया। आजाद वत्स, राजेश झा जी को भी सम्मानित किया गया।

साहित्यकार वीरेन्द्र मल्लिक जी ने अपने संबोधन में कहा-‘साहित्यक सम्बर्धन विषय पर एकजुट हुए युवाओं को देख मन आनंदित हो गया है परन्तु मैं प्रवासी मैथिल से अनुरोध करूंगा कि अपने बच्चों से मैथिली में बात करें तथा उन्हें मैथिली भाषा की अहमियत को बताएं तभी जाके मैथिली भाषा एवं साहित्य पाएगी। नाटककार महेन्द्र मलंगिया जी अपने संबोधन में कहा-‘प्रवासी मैथिल को साहित्य को सम्बर्धन करने के दिशां में कदम बढाने के लिए सर्वप्रथम अपने बच्चें को एकबार गांव जरूर धुमा लाएं जिससे बच्चों में मैथिली शब्दकोष जानकारी बढेगी और नये पीढ़ी के बच्चें भी साहित्य में रूचि ले सकेंगे। साहित्यकार गंगेश गुंजन जी उपस्थित लोगों से आग्रह करते हुए कहा-‘आज से आप लोग संकल्प ले की प्रत्येक महिने एक-एक मैथिली पुस्तक खरीदेंगे।‘

भास्करानंद झा ‘भास्कर’ जी अपने संबोधन में-‘साहित्यक विषयों पर और व्यापक स्तर पर कार्यक्रम करने की आवश्यकता है। मै इन विषयों पर संगोष्ठी आयोजन करने के लिए मैथिल साहित्य महासभा को धन्यवाद देता हूं। अन्य और सभी साहित्यकारों ने मैथिली साहित्य सम्बर्धन के लिए अपने-अपने विचार से उपस्थित लोगों को प्रोत्साहित किया। इस अवसर पर नेना-भुटका एवं लप्रेक नामक दो पत्रिका का विमोचन किया गया साथ हीं मिथिला रिसर्च फाउंडेशन ने मैथिली पुस्तकों की स्टाॅल लगायी गयी थी जिसे लोगों ने खरीदा और उनके प्रयासों को सराहा भी। मंच का संचालन मैथिल आंदोलनी शरत झा जी के द्वारा किया गया।

अन्तमें मैथिली साहित्य महासभा के संयोजक विजय झा एवं सह-संयोजक संजय झा नागदह ने कहा-‘प्रवासी मैथिल अपने साहित्य के सम्बर्धन के प्रति जगरूक है ये तो सभागार में उपस्थित साहित्य प्रेमी से मालूम पड़ रहा है । मैथिली साहित्य के सम्बर्धन के भाव जगाने का के लिए मैथिली साहित्य महासभा हर संभव प्रयास करेगी।’ मिथिला मैथिली के लिए काम करनेवाली सभी संस्थाओं के प्रतिनिधि को मैं तहेदिल धन्यवाद करता हूं। जिन्होंने मुझे सहयोग दिया। मै उन कर्मठ सहयोगी कार्यकर्ता बन्धु के प्रति आभार व्यक्त करता हुं जिन्होंने असंभव को संभव करने में संस्था को मदद किया।

कोई टिप्पणी नहीं: