पंचायत चुनाव में शौचालय की शर्त वापसी जनांदोलनों की जीत: माले - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 2 फ़रवरी 2016

पंचायत चुनाव में शौचालय की शर्त वापसी जनांदोलनों की जीत: माले

  • महादलित प्रेम का ढोंग करती है नीतीश सरकार, छात्रवृत्ति नहीं देने की वजह से उड़ीसा में 60 दलित छात्रों का जीवन अधर में.

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पटना 2 फरवरी 2016, माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि पंचायत चुनाव में बिहार कैबिनेट द्वारा शौचालय की शत्र्त को वापस लेना जनांदोलनों की जीत है. भाकपा-माले ने इस गरीब विरोधी फरमान के खिलाफ पूरे बिहार में आंदोलन चलाया था और 25 जनवरी को विभिन्न गांव-पंचायतों में मशाल जुलूस और 29 जनवरी को प्रखंड मुख्यालयों पर धरना देने का काम किया था. जिसके दबाव में सरकार ने अपने कदम पीछे खींचे हैं.

उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह अराजनीतिक कदम था, जिससे गरीबों व वंचित समुदाय के लोगों को पंचायत चुनाव से बाहर धकेलने की कोशिशें की गयी थीं. साथ ही हमारी मांग है कि पंचायतों को कारगर व मजबूत बनाने के लिए इसे दलीय आधार पर करवाना चाहिए था, ताकि पंचायत चुनाव में राजनीतिक पार्टियां जवाबदेह बन सकें. लेकिन इस मांग को सरकार अनसुनी कर रही है और इस प्रकार पंचायत चुनाव में पैसे के कारोबार, जोड़-तोड़ आदि को प्रोत्साहन देने में लगी है.

उन्होंने आगे कहा कि नीतीश सरकार का महादलित प्रेम ढोंग के सिवा कुछ नहीं है. उड़ीसा के राजधानी इंजीनियरिंग काॅलेज में पढ़ने वाले 60 दलित बच्चों का भविष्य सरकार की लापरवाही की वजह से आज अधर में अटक गया है. काॅलेज प्रशासन के बारंबार आग्रह के बावजूद बिहार सरकार ने इन छात्रों की छात्रवृत्ति काॅलेज में जमा नहीं करवाई है. जिसकी वजह से काॅलेज प्रशासन ने इन सभी 60 बच्चों को पिछली 8 जनवरी को ही काॅलेज व हाॅस्टल से बाहर कर दिया है. इंजीनियरिंग के दूसरे वर्ष के इन छात्रों के सामने कोई रास्ता नहीं रह गया था. इनमें 18 छात्र पूर्वी चंपारण और 42 पश्चिम चंपारण से हैं. काॅलेज प्रशासन सभी पैसा मिल जाने के बाद ही इन छात्रों को काॅलेज में प्रवेश देगी. माले सचिव ने कहा कि बिहार सरकार को इस पर तत्काल पहलकदमी लेते हुए छात्रों की रिइंट्री करवानी चाहिए. ऐसी लापरवाही कत्तई बर्दाश्त नहीं की जाएगी..

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