नयी दिल्ली, 02 फरवरी, केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछली सरकार की तुलना में अपनी सरकार के कार्यकाल में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के क्रियान्वन को बेहतर बताते हुए आज कहा कि अब सरकार देश की अर्थव्यस्था को मजबूत बनाने के लिए गांव के विकास पर जोर देगी और उसके लिए अधिक निवेश करेगी क्योंकि निजी क्षेत्र बड़ा योगदान नहीं कर पा रहे हैं। श्री जेटली ने देश में मनरेगा के क्रियान्वन के दस वर्ष पूरे होने पर विज्ञान भवन में राष्ट्रीय मनरेगा दिवस पर आयोजित समारोह में यह बात कही। इस मौके पर ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह, ग्रामीण विकास राज्य मंत्री सुदर्शन भगत, पेयजल एवं स्वच्छता राज्य मंत्री रामकृपाल यादव और पंचायती राज्य मंत्री निहाल चन्द भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि कई सालों तक सरकारी कार्यक्रमों के चलने से उसमें कई बार औपचारिकता और उदासी भी आ जाती है तथा मनरेगा के क्रियान्वन के सातवें वर्ष से 2013-14 तक इसमें उदासीनता प्रकट हो रही थी।लेकिन 2014 में नयी सरकार के आने के बाद हमने मनरेगा के न केवल बजट को बढ़ाया बल्कि उसकी पूरी राशि खर्च की और संशोधित बजट में कोई कटौती नहीं की जबकि पहले पूरी राशि खर्च नहीं होती थी और उलटे संशोधित बजट में निर्धारित राशि में कटौती कर ली जाती थी। उन्होंने कहा कि यह पहला वर्ष है जब बजट के प्रावधान में एक पैसा भी नहीं कटा गया और पूरी राशि खर्च हुई।
श्री जेटली ने कहा कि इस समय पूरे विश्व में आर्थिक प्रगति में कमी आ गयी है। यहां तक कि चीन भी तेजी से प्रगति करने के बाद अब धीमी रफ़्तार से आगे बढ़ रहा है। अमरीका की अर्थव्यस्था भी दो कदम आगे बढ़ती है फिर धीमी हो जाती है। भारतीय अर्थव्यस्था की गिनती पहले दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और रूस जैसे देशों से होती थी लेकिन अब उनकी भी प्रगति की रफ़्तार धीमी हो गयी है। ऐसे में भारत एक मात्र ऐसा देश है जो 7.5 प्रतिशत विकास दर की रफ़्तार से प्रगति कर रहा है लेकिन निजी क्षेत्र इसमें बड़ा योगदान नहीं कर पा रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले दो सालों में अच्छी बारिश नहीं होने से पैदावार कम हुई और इससे ग्रामीणों की खरीददारी की शक्ति कम हुई विश्व की आर्थिक प्रगति के धीमेपन से निर्यात भी कम हुआ है। इसलिए देश के विकास के लिए गांव का विकास करना जरुरी है। ग्रामीण स्वास्थ्य और ग्रामीण शिक्षा पर ध्यान देना होगा और इसके लिए अधिक साधन जुटाए जायेंगे क्योंकि गांव की सड़कों पर अधिक खर्च किया जायेगा और ग्रामीण विद्युतीकरण पर अधिक ध्यान दिया जायेगा। अब भी 18 हजार गांव ऐसे हैं जहां बिजली नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रोज खुद ही इसकी निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि किस तरह सिंचाई व्यस्था को मज़बूत बनाने से मध्यप्रदेश की प्रगति हुई है। उन्होंने कहा कि मनरेगा का स्वरुप बदलने से लोग गरीबी से बाहर निकले हैं और वे मुद्रा योजना में शामिल हो रहे हैं। एक करोड़ 75 लाख लोग बैंक से कर्ज लेकर अपना काम कर रहे हैं।
ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंद्र सिंह ने कहा कि वर्ष 15-16 में 36 हज़ार 977 करोड़ रुपये मनरेगा पर खर्च हुए जबकि पहले 33 हज़ार करोड़ खर्च होते थे। उन्होंने कहा कि फंड में कोई कमी नहीं होने दी जायेगी। मनरेगा के प्रति लोगों को आकर्षण बढ़ा है । उन्होंने यह भी कहा कि मनरेगा के क्रियान्वयन में अब काफी पारदर्शिता आयी है और 94 प्रतिशत राशि का सीधे भुगतान किया गया है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 -15 में 27 प्रतिशत मजदूरों को दिहाड़ी का भुगतान पंद्रह दिन के भीतर होता था लेकिन वर्ष 2015-16 में 44 प्रतिशत लोगों को पंद्रह दिन के भीतर भुगतान किया गया । उन्होंने कहा कि अभी केरल ने एक जनवरी से मनरेगा के मजदूरों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के जरिये भुगतान शुरू किया है लेकिन अब एक अप्रैल से इसे देश भर में लागू किया जायेगा। समारोह में मनरेगा के बेहतर क्रियान्वयन के लिए पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को सम्मानित भी किया गया।

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