नयी दिल्ली, 25 फरवरी, विपक्षी दलों ने रेल बजट को शब्दों का आडम्बर, दिशाहीन, खोखला तथा आम जनता को भ्रमित करने वाला बताया और कहा कि यह मोदी सरकार का रेलवे के निजीकरण की दिशा में अगला कदम है। लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने रेल बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इसमें नया कुछ भी नहीं है। ढांचागत सुधार की बात करने वाले यह बताने को तैयार ही नहीं है कि पैसा कहां से आएगा। स्वच्छता, यात्री सुविधा जैसी बातें सरकार के मंत्री पहले से बोलते आ रहे हैं लेकिन इसके लिए कोई ठोस आधार उनके पास नहीं है। बजट में ऐसा कुछ नहीं है जिसके लिए ‘प्रभु’ को कोई नम्बर दिए जाएं।
कांग्रेस सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने कहा कि इसमें रेल बजट जैसी कोई चीज नहीं है। इसे सिर्फ शब्दों के जाल में फंसाकर रहस्यमयी बना दिया है और जनता के लिए इसमें कुछ भी नहीं है। कई सांसद इसका विरोध कर रहे थे क्योंकि उनकी किसी भी मांग को पूरा नहीं किया गया है। इसमें केवल बड़ी-बड़ी बातें की गयी हैं और जमीन पर उतारने के लिए कुछ भी नहीं है। बजट को बोरिंग बताते हुए पूर्व रेल राज्यमंत्री अधीररंजन चौधरी ने कहा कि लोगों को मोदी सरकार से बड़ी उम्मीदें थीं लेकिन उसके हाथ निराशा लगी है। उन्होंने सवाल उठाया कि बुलेट ट्रेन और 200 किमी प्रति घंटे से चलने वाली ट्रेनों का क्या हुआ। भाड़ा तो सरकार ने पहले ही पिछले दरवाजे से बढ़ा दिया था। यह दिशाहीन बजट है।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें