पटना,23 फरवरी. बिहार के मुख्यमंत्री एवं पूर्व रेल मंत्री नीतीश कुमार ने देश की एकता में रेलवे की महत्ता को रेखांकित करते हुए आज कहा कि इसका निजीकरण देश की एकता पर भयंकर चोट होगी। श्री कुमार ने यहां पत्रकारों से कहा कि देश की एकता में रेलवे की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका है। आज भी आम आदमी की सवारी रेलगाड़ियां ही हैं। उन्होंने कहा कि रेलवे का विकास इस प्रकार होना चाहिये कि उसका लाभ सभी को मिले । रेल सेवा से वंचित देश की सुदूर इलाकों तक गाड़ियों को पहुंचाने की जरूरत है। रेलवे के निजीकरण की योजना बनायी जा रही है, लेकिन जिस दिन रेलवे का निजीकरण हो जायेगा,उस दिन देश की एकता पर भयंकर चोट पड़ेगी ।रेलवे का निजीकरण नहीं होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि 25 फरवरी को पेश होने वाले रेल बजट से उन्हें कोई उम्मीद नहीं है। उन्होंने कहा कि उनके रेल मंत्री के कार्यकाल के दौरान की बिहार में कई रेलवे परियोजनायें लंबित हैं, उनको पूरा करने की समय सीमा काफी पहले ही समाप्त हो चुकी है। उन्हें पूरा करने के लिये काफी धन खर्च करना होगा। उन्होंने कहा कि रेलवे का विकास केन्द्र सरकार की जिम्मेदारी है क्योंकि यह उसी के नियंत्रण में है।
श्री कुमार ने कहा कि बिहार में रेलवे के बड़ी संख्या में परियोजनायें वर्षों पहले स्वीकृत हुई हैं लेकिन उसे पूरा करने के लिये नाम मात्र धन का आवंटन होता है,इस कारण काम पूरा नहीं हो पाता है। अब रेल मंत्री कह रहे हैं कि रेल परियोजनायें में राज्य सरकार भी धन लगाये। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि केन्द्र प्रायोजित किस-किस योजना में राज्य सरकार पैसे लगायेगी, जिसकी जो जिम्मेवारी है,उसे पूरा करना चाहिये। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की प्रगति की जवाबदेही केन्द्र और राज्य दोनों की है। राज्य के जिम्मे जो काम है, उनकी सरकार कर रही है हैं। केन्द्र के जिम्मे जो काम है, उसे केन्द्र सरकार करे। उन्होंने कहा कि उन्हें तो ऐसा लगता है कि रेलवे को जितना धन चाहिये, केन्द्र सरकार देने की स्थिति में नहीं हैं, इसलिये हर जगह निजी निवेश की बात की जाती है। रेलवे को केन्द्र सरकार से जितनी सहायता मिलनी चाहिये, वह सहायता भी उसे नहीं मिल पा रही है। रेलवे की हालत खस्ता है।

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