नयी दिल्ली 01 फरवरी, उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून का क्रियान्वयन नहीं करने पर गुजरात सरकार को आज कड़ी फटकार लगाते हुए पूछा कि क्या गुजरात देश से बाहर है? न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सूखाग्रस्त राज्यों को हरसंभव मदद उपलब्ध कराये जाने संबंधी गैर-सरकारी संगठन स्वराज अभियान की याचिका की सुनवाई के दौरान कुछ राज्यों को कानून पर अमल नहीं करने पर कड़ी फटकार लगाई।
न्यायालय ने खासकर गुजरात के रवैये पर गहरा असंतोष जताते हुए कहा, “संसद क्या कर रही है? क्या गुजरात भारत का हिस्सा नहीं है?’’ शीर्ष अदालत ने कहा कि कानून पूरे भारत के लिए होता है, जबकि गुजरात इसे लागू करने को तैयार नहीं है। कल कोई और राज्य कहना शुरू कर सकता है कि वह भारतीय दंड संहिता और साक्ष्य अधिनियम नहीं मनेगा।
खंडपीठ ने सरकार को सूखा प्रभावित राज्यों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून और मध्याह्न भोजन जैसी कल्याणकारी योजनाओं की स्थिति को लेकर हलफनामा दायर करने के लिए केंद्र को 10 फरवरी तक का समय दिया, साथ ही उसके दो दिन बाद मामले की सुनवाई के लिए 12 फरवरी की तारीख मुकर्रर कर दी।
वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि अपने दायित्वों के निर्वाह में केंद्र और राज्यों की घोर उपेक्षा के कारण लोगों को खासा नुकसान हो रहा है और यह संविधान के अनुच्छेद 21 तथा 14 के तहत अधिकारों की गारंटी के खिलाफ है।

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