मुंबई 02 फरवरी, रिजर्व बैंक ने आज कहा कि खुदरा महँगाई अब तक रिजर्व बैंक के अनुमान के अनुरूप रही है, लेकिन सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने से इसमें बढ़ोतरी दर्ज की जा सकती है। श्री राजन ने आज यहाँ चालू वित्त वर्ष की छठी और अंतिम मौद्रिक नीति समीक्षा जारी करते हुये कहा “मुद्रास्फीति मौद्रिक नीति के पहले के अनुमानों के अनुरूप रही है। जनवरी 2016 के छह प्रतिशत का लक्ष्य हासिल हो जाना चाहिये। यदि इस साल मानसून सामान्य रहा और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल तथा विनिमय दर की यही स्थिति बनी रही तो वित्त वर्ष 2016-17 के अंत तक खुदरा महँगाई पाँच फीसदी की सीमा के भीतर रखने का लक्ष्य भी हासिल हो जाना चाहिये।”
श्री राजन ने कहा “हालाँकि, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने से इसमें एक या दो साल के लिए बढ़ोतरी हो सकती है, क्योंकि वर्तमान अनुमान में इसकी गणना नहीं की गयी है।” उन्होंने कहा कि जब सिफारिशें लागू करने के समय के बारे में स्थिति स्पष्ट होगी, केंद्रीय बैंक महँगाई के अपने अनुमान में सुधार करेगा। उन्होंने कहा कि साथ ही यदि मानसून सामान्य नहीं रहता है या वैश्विक स्तर पर भू-राजनीतिक स्थितियाँ बदलने से कमोडिटी मूल्यों में बदलाव होता है तो इससे भी महँगाई दर अनुमान से अलग रह सकता है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि हालाँकि दिसंबर में लगातार पाँचवें महीने महँगाई बढ़ी है, लेकिन फलों तथा सब्जियों की कीमतों में माैसमी गिरावट से आने वाले समय में महँगाई में थोड़ी राहत मिल सकती है। उन्होंने कहा कि लगातार दो साल खराब मानसून के बावजूद खाद्य पदार्थों की महँगाई ज्यादा नहीं बढ़ने के लिए सरकार के आपूर्ति प्रबंधन को श्रेय दिया जाना चाहिये। हालाँकि, दालों की महँगाई अब भी ज्यादा बनी हुई है जिससे इसमें संरचनात्मक विसंगति का संकेत मिलता है। श्री राजन सेवा क्षेत्र की मुद्रास्फीति पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि सितंबर 2015 से आवास, परिवहन एवं संचार, स्वास्थ्य तथा अन्य सेवाओं की महँगाई दर कम नहीं हो रही है।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें