पटना,22 फरवरी, वाम दलों ने भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) पर राजनीतिक विरोधियों को देशद्रोह के झूठे मामलों में फंसाने का आरोप लगाते हुए आज कहा कि अपने को राष्ट्रवादी साबित करने के लिए दूसरों पर राष्ट्रविरोधी गतिविधि में शामिल होने की तोहमत लगाने वाले लोगों से उन्हें देशभक्ति का प्रमाणपत्र लेने की जरुरत नहीं है। बिहार मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी(माकपा) के राज्य सचिव अवधेश कुमार,भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(भाकपा)के राज्य सचिव जब्बार आलम,भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी-लेनिनवादी)के राज्य सचिव कुणाल, सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर आफ इंडिया(एसयूसीआई)के राज्य समिति सदस्य अरुण कुमार,अखिल भारतीय फारवर्ड ब्लाक के अशोक प्रसाद और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी(आरएसपी) के महेश प्रसाद ने यहां संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस)विश्वविद्यालय परिसरों में शैक्षणिक माहौल खराब करने के साथ ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हनन का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हनन की कोशिश और जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय(जेएनयू) छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार के विरुद्ध देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तारी के विरोध में 23 से 25 फरवरी तक देश में वाम दल विरोध मार्च करेंगे।वाम दलों ने श्री कुमार के पैतृक जिले बेगूसराय को कल बंद रखने का भी आह्वान किया है।
नेताओं ने कहा कि राजनीतिक विरोधियों के विरुद्ध देशद्रोह के झूठे आरोप लगाने वाली भाजपा से वाम दलों को राष्ट्रभक्ति का कोई प्रमाणपत्र नहीं चाहिए। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के वाम दलों की राष्ट्रभक्ति हमेशा संदेहास्पद रहने संबंधी आरोप पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि भगवा दल और उसके मातृ संगठन आरएसएस का रवैया छात्र आंदोलनों और देश की आजादी की लड़ाई में क्या रहा है ,इसे सब जानते हैं । वाम नेताओं ने वर्ष 1962 में चीन के भारत पर आक्रमण के संबंध में वाम दलों के अपनाये गये रुख पर भाजपा के उंगली उठाये जाने की ओर ध्यान आकृष्ट कराये जाने पर कहा कि भगवा दल को पहले इसका स्पष्टीकरण देना चाहिए कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चीन की यात्रा पर क्यों गये और वहां के प्रधानमंत्री तथा अन्य नेताओं को भारत आने का न्यौता क्यों दिया।प्रधानमंत्री ने चीन यात्रा के दौरान भारत के आर्थिक विकास के लिए सहयोग भी मांगा था।
वाम नेताओं ने कहा कि वामपंथी सदैव आम आदमी के हितों के लिए प्रतिबद्ध रहे हैं जबकि भाजपा बड़े-बड़े कारपोरेट घरानों के हितों के संरक्षण एवं संवर्द्धन में प्रयासरत रहती है । उन्होंने कहा कि भाजपा की नीतियों का विरोध करने वाले दलों को देशद्रोही करार देने की कोशिश को वाम दल बर्दाश्त नहीं करेंगे। नेताओं ने कहा कि जेएनयू देश का सर्वश्रेष्ठ शैक्षिक संस्थानों में से एक है जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करने का ईमानदारी से प्रयास किया जाता है लेकिन संविधान प्रदत्त इस अधिकार पर रोक लगाने का भाजपा प्रयास कर रही है।उन्होंने कहा कि वाम दल कल पटना के कारगिल चौक से मार्च शुरु कर राजभवन जायेंगे और जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष की तत्काल रिहाई की मांग करेंगे।

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