जेएनयू की आग को बुझाने का काम हम सबको करना चाहिए : शबाना - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 21 फ़रवरी 2016

जेएनयू की आग को बुझाने का काम हम सबको करना चाहिए : शबाना

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आजमगढ 21 फरवरी, सिने तारिका व पूर्व सांसद शबाना आजमी ने कहा है कि जवाहर लाल विश्वविद्यालय (जेएनयू) का मामला अचानक नही भडका है इस पर निगाह पहले से ही रखी गयी थी । उन्होने कहा कि जेएनयू की आग को बुझाने का काम हम सबको करना चाहिए। ऐसा नही है कि यह सब अचानक हो गया इस पर निगाह पहले से ही रखी गयी थी। फिल्म अभिनेत्री ने स्वर्गीय कैफ़ी आज़मी की शायरी “प्यार का जश्न इस तरह मनाना होगा, ग़म किसी के सीने में हो उसको मिटाना होगा ” से लोगो को एक नयी दिशा देने का सन्देश दिया। अपने गृह जिला आजमगढ़ के बनकट बाजार मे स्थित एक निजी स्कूल के वर्षगांठ के अवसर पर मुख्य अतिथि सिने तारिका शबाना आजमी ने कहा कि इस तरह के स्कूलो की जिले में काफी जरूरत है। स्कूल में जिस प्रकार से भारतीय संस्कृति और सभ्यता की झलक देखने को मिली है वह काफी सराहनीय है। स्कूल को अपनी नाम की तरह अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर काम करना चाहिये। 

फिल्म अभिनेत्री ने अपनी आने वाली फिल्म नीरजा को मिल रहे लोगो के सहयोग से काफी खुश दिखी और कहा कि फिल्म नीरजा में उन्होंने नीरजा के मां का किरदार निभाया है। उन्होंने कहा कि अपने फिल्म कैरियर के 40 सालो के दौरान इतनी प्रसन्नता नही मिली जितनी इस फिल्म को लेकर पूरी युनिट को मिल रही है और इस फिल्म को उत्तर प्रदेश सरकार ने टैक्स फ्री कर दिया है। फिल्म अभिनेत्री ने कहा की समाज की तरक्की के लिए शिक्षा बहुत ज़रूरी है। शिक्षा से ही राष्ट्र की तरक्की हो सकती है। उन्होंने देश की तरक्की के लिए महिलाओँ के सम्मान और बराबरी का दर्जा देने पर जोर दिया। महिला को सम्मान मिलेगा तभी सामाजिक बुराइयां समाप्त होंगी। उन्होंने कहा कि आबादी के पचास फ़ीसदी हिस्से को नज़रअंदाज़ कर के हम राष्ट्र की तरक्की की कल्पना नहीं कर सकते। 

उन्होंने कहा कि पारिवारिक परवरिश से ही संस्कार मिलता है और उसी का समाज में प्रतिबिम्ब दिखता है ।उन्होंने स्वर्गीय कैफ़ी आज़मी साहब की शायरी “प्यार का जश्न इस तरह मनाना होगा, ग़म किसी के सीने में हो उसको मिटाना होगा ” से लोगो को एक नयी दिशा देने का सन्देश दिया। उन्होंने बेटी को गर्भ में ही मार देने पर चिंता जताई, कहा कि समाज को बेटी.बेटे में फर्क नहीं सोचना होगा क्योकि बेटियाँ आज किसी भी मायने में बेटे से कम नहीं हैं। देश के शीर्ष पदों पर महिलाओं ने नेतृत्व कर दिखा दिया कि वह किसी से कम नही हैं1 

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