नयी दिल्ली 16 मार्च , लोकसभा ने विशिष्ट पहचान संख्या आधार को कानूनी वैधता देने संबंधी विधेयक में राज्यसभा द्वारा सुझाये गये पांचों संशोधनों को आज रात नामंजूर कर दिया और इसके साथ ही यह विधेयक मूल रूप में संसद से पारित हो गया। विपक्षी तृणमूल कांग्रेस, बीजू जनता दल अौर वामदलों ने सरकार पर इस विधेयक को हड़बड़ी में पारित कराने और उच्च सदन द्वारा सुझाये संशोधनों को न मानकर उसका असम्मान करने का आरोप लगाते हुए सदन से बहिर्गमन किया। लाेकसभा ने आधार (वित्तीय सब्सिडी तथा अन्य सेवाओं का लक्षित परिदान) विधेयक 2016 को 11 मार्च को पारित किया था और राज्यसभा ने आज ही इस पर चर्चा कर पांच संशोधन करके लोकसभा को लौटाया था। इस विधेयक के धन विधेयक होने के कारण लोकसभा ने अपने विशेषाधिकार के तहत इन संशोधनों को नामंजूर कर दिया और विधेयक मूल रूप में संसद से पारित हो गया। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विपक्ष की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि राज्यसभा द्वारा सुझाये गये संशोधन संविधान एवं कानून के अनुरूप नहीं हैं।
आधार के डाटा को साझा करने एवं निजता की रक्षा के लिये राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रावधान की बजाय सार्वजनिक आपात स्थिति और जनसुरक्षा लिखे जाने की मांग का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि इन दोनों शब्दों को शामिल करने के खतरनाक परिणाम होंगे क्योंकि इन बातों की कानून या संविधान में कोई व्याख्या नहीं हैं और विवाद की दशा में कोई भी मनमानी व्याख्या करके समस्या पैदा करेगा और लोगों की निजता का अधिकार प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा का शब्द पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के विधेयक में था। उन्होंने उसी से इसे लिया है और आज संप्रग के सदस्य अपने ही शब्द का विरोध कर रहे हैं। श्री जेटली ने कहा कि आधार को सरकारी लाभ के लिये अनिवार्य बनाये जाने के प्रावधान से सरकारी लाभ को अपात्रों तक नहीं पहुँचने दिया जाएगा। उन्होंने इसके लिये रसोई गैस के प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण की योजना का उदाहरण दिया। उन्हाेंने केन्द्रीय सतर्कता आयोग तथा नियंत्रक एवं लेखा महापरीक्षक को भी राष्ट्रीय सुरक्षा के विषय की जाँच करने की अनुमति देने के तर्क को हास्यास्पद बताया।

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