इलाहाबाद 12 मार्च, राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी समेत कई गणमान्य अतिथि कल यहां इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 150वीं वर्षगांठ की शोभा बढायेंगे । संगम नगरी इलाहाबाद में स्थित उच्च न्यायालय परिसर में समारोह की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। समारोह स्थल और आसपास के क्षेत्र में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किये गये है। उच्च न्यायालय के आधिकारिक सूत्रों ने आज यहां बताया कि उदघाटन समारोह कल दोपहर 12 बजे शुरू होगा और दो बजे इसका समापन होगा। समारोह के दौरान राष्ट्रपति श्री मुखर्जी इलाहाबाद उच्च न्यायालय की प्रतिकृति लिये एक डाक टिकट और दस रूपये सिक्का जारी करेंगे। एतिहासिक समारोह में देश के मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर और केन्द्रीय कानून मंत्री सदानंद गौडा के अलावा उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश शिरकत करेंगे। इस मौके पर राज्यपाल रामनाईक और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी मौजूद रहेंगे। उच्च न्यायालय की 150वीं सालगिरह का समारोह कल शुरू होकर 17 अप्रैल तक चलेगा। इस मौके पर न्यायालय के जीर्णोद्वार किये गये संग्राहलय के उदघाटन किया जायेगा और रक्त शिविर का आयोजन किया जायेगा। देश के सबसे पुराने न्यायालयों में शुमार इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सबसे ज्यादा 160 न्यायाधीश कार्यरत हैं। न्यायालय के गौरवशाली इतिहास और महत्वपूर्ण फैसलों से आमजनों को रूबरू कराने के लिये 10 हजार बुकलेट वितरित की जायेंगी। न्यायालय की स्थापना दिवस के अवसर पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में भी समारोह आयोजित किये जायेंगे। उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ स्थापना दिवस समारोह अपने नये परिसर में मनाया जायेगा जिसका उदघाटन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी 19 मार्च को करेंगे । मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर में इस मौके पर मौजूद रहेंगे। 30 दिसम्बर 2009 को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश के जी बालकृष्णन ने नये भवन का शिलान्यास किया था जबकि पुराने भवन की स्थापना 1903 में की गयी थी।
करीब 40 एकड क्षेत्रफल में फैली नयी इमारत में 57 अदालते हैं और जजों के लिये 72 चेंबर हैं। भवन में महाअधिवक्ता का कार्यालय होगा जबकि अधिवक्ताओं के लिये 1440 चेंबर और एक लाइब्रेरी बनायी गयी है। इसके अलावा नवनिर्मित भवन में 2240 टाइपिस्ट और वकीलों के सहायकों के लिये विशेष व्यवस्था की गयी है। पांच मंजिला इमारत में थ्री टियर भूमिगत पार्किंग की सुविधा मौजूद होगी। पार्किंग में 5000 चार पहिया और 15 हजार दुपहिया वाहन खडे किये जा सकेंगे। इमारत में ऊपरी मंजिलों में आवागमन के लिये लिफ्ट के अलावा स्वाचालित सीढियां भी लगायी गयी है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के महानिबंधक एस के सिंह राठौर ने कहा कि नवनिर्मित भवन में तत्काल प्रभाव से काम नही करेगा हालांकि कुछ समय बाद सभी अदालतें नये भवन में स्थानान्तरित कर दी जायेंगी। गौरतलब है कि ब्रिटिश संसद द्वारा पारित भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम 1861 के तहत पुराने सदर दीवानी अदालत की जगह 17 मार्च 1866 को आगरा में उत्तर पश्चिमी प्रदेशों के उच्च न्यायालय के रुप में स्थापित किया गया था। इस उच्च न्यायालय को बाद में इलाहाबाद में स्थानान्तिरित किया गया। बैरिस्टर एट लॉ सर वाल्टर मोर्गन को आगरा में उच्च् न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश तथा सिम्पसन को प्रथम रजिस्ट्रार नियुक्त किया गया था। उत्तर पश्चिम प्रदेशों की सरकार ने 1834 में इलाहाबाद में उच्च न्यायालय की स्थापना की थी लेकिन एक साल बाद ही इसे आगरा में स्थानान्तरित कर दिया गया हालांकि 1868 में उच्च न्यायालय को वापस इलाहाबाद स्थानान्तरित कर दिया गया। ग्यारह मार्च 1919 को इसका नाम बदलकर इसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय कर दिया गया। संयुक्त प्रांत की सरकार ने दो नवम्बर 1925 को अवध सिविल अधिनयम 1925 के तहत अवध न्यायिक आयुक्त को अवध का मुख्य न्यायालय, लखनऊ बनाया और 25 फरवरी 1948 को इसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय की पीठ बना दी गयी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के भवन का निर्माण आगरा लोहामंडी के खान साहिब निजामुद्दीन ने कराया। उन्होंने उच्च न्यायालय को पानी का फव्वारा (वाटर फाउन्टेन) दान स्वरुप प्रदान किया। वर्ष 2000 में उत्तराखण्ड राज्य के अस्तित्व में आने के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय के दायरे में कुछ अलग राज्य के जिले कम हो गये। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की अपने स्थापना वर्ष 1866 में मुख्य न्यायाधीश वाल्टर मोर्गन की नियुक्ति से लेकर वर्तमान न्यायाधीश चन्द्रचूड तक 45 न्यायविदों ने इस पद की गरिमा बढाई और आम जनता को न्याय दिलाने में मदद की।

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