पटना,18 मार्च, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक(कैग) ने कहा है कि बिहार के वर्ष 2014-15 के 140022.59 करोड़ के बजट में से 43925.80 करोड़ खर्च नहीं किये जा सके और 27334.02 करोड़ रुपये अभ्यर्पित कर दिये गये जो अनुचित बजट अनुमान का परिचायक है। राज्य के वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दिकी ने वित्तीय वर्ष 2014-15 की कैग रिपोर्ट आज बिहार विधानसभा के पटल पर रखी । बिहार के महालेखाकर पी के सिंह ने यहां संवाददाताओं को बताया कि वित्तीय वर्ष 2014-15 के बजट में 140022.59 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था जिसमें से 43925.80 करोड़ रुपये खर्च ही नहीं किये जा सके । जिससे कई विभागों के विकास कार्य प्रभावित हुए । श्री सिंह ने बताया कि खर्च न किये जा सके 43925.80 करोड़ रुपये में से 27334.02 करोड़ रुपये सरकार ने अभ्यर्पित करा दिये जो खर्च न की गयी रकम का 62.23 प्रतिशत हिस्सा है।उन्होंने बताया कि सिर्फ 31 मार्च 2015 को ही 22740.73 करोड़ रुपये अभ्यर्पित कर दिये गये।
महालेखाकार ने बताया कि पूर्व के वर्षों में प्रावधानित राशि से 1062.46 करोड़ रुपये अधिक खर्च किये गये जिन्हें
संविधान के अनुच्छेद 205 के तहत नियमित कराना अपेक्षित था।उन्होंने बताया कि वर्ष 2014-15 के दौरान नियंत्रक अधिकारियों ने 75 मुख्य मदों के तहत 68657.81 करोड़ रुपये का समाशोधन नहीं किया । श्री सिंह ने बताया कि वर्ष 2014-15 के दौरान आकस्मिकता निधि से 1875.84 करोड़ रुपये के 101 आहरण हुए जिसमें से 1667.15 करोड़ रुपये के 67 आहरण दिन-प्रतिदिन के खर्च के लिए थे । उन्होंने बताया कि अधिकारियों की विफलता के कारण सार आकस्मिक विपत्रों पर आहरित 5381.42 करोड़ रुपये की राशि मार्च 2015 तक लंबित थी। महालेखाकार ने बताया कि विभिन्न विभागों द्वारा सहायता अनुदान विपत्रों के विरुद्ध आहरित 31510.73 करोड़ रुपये का उपयोगिता प्रमाणपत्र 31 मार्च 2015 तक लंबित था ।उपयोगिता प्रमाणपत्रों का वितरण न करना अधिकारियों की विफलता प्रदर्शित करती है । श्री सिंह ने बताया कि वर्ष 2014-15 के दौरान राजस्व अधिशेष 5847.56 करोड़ रुपये था ।चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटा बढ़कर 11178.50 करोड़ हो गया जो पिछले वर्ष से 34 प्रतिशत अधिक था।यह सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 2.78 प्रतिशत था जो तेरहवें वित्त आयोग की अनुशंसा की सीमा तीन प्रतिशत से कम था।

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