जेनेवा, 12 मार्च, तिब्बत के अाध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने शांति के लिए नोबेल पुरस्कार प्राप्त कर चुके दिग्गजों के बीच ‘तिब्बत पर चीन के दमन’ विषय पर संबोधन दिया और चीन के कड़े विरोध के बावजूद बड़ी संख्या में लोगों ने इसमें भाग लिया। चीन ने लोगों से दलाई लामा के कार्यक्रम का बहिष्कार करने की अपील की थी। जेनेवा के ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट में कल आयोजित इस कार्यक्रम में दलाई लामा (80) ने चीन का नाम लिए बगैर कटाक्ष करते हुए कहा कि मानव मस्तिष्क के एक विशेष हिस्से में ‘कॉमन सेंस’ विकसित होता है लेकिन कुछ कट्टरपंथियों में दिमाग का यह हिस्सा गायब है। इस कार्यक्रम में बडी संख्या में छात्र और राजनयिक शामिल हुए।चीन ने संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों और राजनयिकों को इसी सप्ताह एक पत्र लिख कर इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हाेने का अनुरोध किया था। चीन ने कहा था कि वह दलाई लामा की अलगाववादी गतिविधियों के कारण उनके सार्वजनिक कार्यक्रमों में शामिल होने का विरोध करता है।
कार्यक्रम के बाद चीन के विदेश मंंत्रालय ने एक बयान जारी करके कहा कि उसने अमेरिका के समक्ष अपना कड़ा विरोध दर्ज करा दिया है। अमेरिका और कनाडा ने संयुक्त रूप से इस कार्यक्रम का आयोजन किया था। मंत्रालय ने कहा कि दलाई लामा विशुद्ध धार्मिक हस्ती नहीं हैं बल्कि एेसे व्यक्ति हैं जो लंबे समय से चीन विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं। बयान में दलाई लामा की तीखी अालोचना करते हुए कहा गया है कि पुराने तिब्बत में इनके पास सबसे ज्यादा गुलाम हैं इसलिए इन्हें मानवाधिकारों की बात करने का कोई हक नहीं है। इसके मुताबिक संरा को भी अपने चार्टर के सिद्धांतो का सम्मान करते हुए सदस्य देशों की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने में सहयोग करना चाहिए। कार्यक्रम के पहले ही चीन के तीव्र विरोध के संबंध में पूछे जाने पर अध्यात्मिक गुरु ने संवाददाओं से कहा था,“ जहां कहीं भी मेरा नाम सामने आता है वह हमेशा आलोचना और विरोध करते हैं,इसमें कुछ भी नया नहीं है, यह सामान्य बात है।”
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