- न्याय के सवाल पर 5 लाख हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन के साथ मुख्यमंत्री से मिला नागरिक प्रतिनिधिमंडल
- 6 सूत्री मांगों पर भाकपा-माले की पहल पर जनवरी महीने में चला था हस्ताक्षर अभियान
- बिहार में दलितों-महिलाओं पर बढ़ती अपराध की घटनायें चिंताजनक
17 मार्च 2016, भाकपा-माले की पहल पर पिछले जनवरी महीने में न्याय के सवाल पर चलाये गये हस्ताक्षर अभियान के तहत इकट्ठा किये गए 5 लाख हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन आज बिहार के मुख्यमंत्री को सौंपा गया. प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि ज्ञापन के माध्यम से विधानसभा चुनाव के जनादेश में सशक्त रूप में व्यक्त हुई लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और न्याय की जनाकांक्षा का सम्मान करते हुए गरीबों, अल्पसंख्यकों व महिलाओं समेत अन्य कमजोर वर्गों से न्याय से संबंधित कुछ प्रमुख मामलों में जरूरी कदम उठाने की मांग माननीय मुख्यमंत्री से की. मुख्यमंत्री महोदय ने तमाम मांगों पर गंभीरता से विचार किया और प्रतिनिधिमंडल को इन प्रश्नों पर उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया. प्रतिनिधिमंडल में प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों -’एनआईटी के पूर्व शिक्षक प्रो. संतोष कुमार, चिकित्सक डाॅ. पीएनपी पाल, पूर्व सांसद रामेश्वर प्रसाद, पूर्व विधायक व अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव राजाराम सिंह, भाकपा-माले विधायक दल के नता महबूब आलम और तरारी से माले विधायक सुदामा प्रसाद ने संबोधित किया.
6 सूत्री ज्ञापन में बाथे, बथानी और मियांपुर जनसंहारों में पटना हाईकोर्ट द्वारा सजामुक्त कर दिए गए रणवीर सरगनों को कठोर सजा दिलाने की गारंटी करते हुए सुप्रीम कोर्ट में इन मामलों की उचित देख-रेख करने की मांग की गयी है. प्रतिनिधिमंडल ने प्रेस बयान जारी कर कहा कि ‘कोबरा पोस्ट’ स्टिंग जिसमें रणवीर सेना द्वारा दलित-गरीबों-महिलाओं के जनसंहारों के बारे में एक बड़ा खुलासा हुआ है, का संज्ञान लेते हुए जनसंहारों व हिंसा में शामिल तमाम रणवीर सरगनों तथा उन्हें संरक्षण देने और मदद पहुंचाने वाले राजनेताओं व अधिकारियों को गिरफ्तार करने और सजा दिलाने की भी मांग की गयी है. यह भी मांग की गयी कि झूठे मुकदमों के तहत जेल में बंद दरौली (सु.) के नवनिर्वाचित विधायक व अखिल भारतीय खेत मजदूर सभा के प्रदेश अध्यक्ष सत्यदेव राम, इंकलाबी नौजवान सभा (इनौस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरजीत कुशवाहा और भोजपुर जिले के लोकप्रिय युवा नेता मनोज मंजिल तथा राज्य के विभिन्न जिलों में बंद राजनीतिक बंदियों को अविलंब रिहा किया जाए. साथ ही, झूठे आरोप में फंसाकर काला कानून ‘टाडा’ के तहत अरवल जिले के 14 भाकपा-माले नेता-कार्यकर्ताओं को 2003 में दी गयी आजीवन कारावास की सजा (समुचित इलाज के अभाव में लोकप्रिय मुखिया शाहचांद समेत 4 लोगों की मौत जेल में ही हो चुकी है.) समाप्त होने पर भी अभी भी जेल में बंद 10 टाडा बंदियों को अविलंब रिहा करने की मांग की गयी है.
ज्ञापन में बहुचर्चित भागलपुर दंगा पीडि़तों के लिए समुचित पुनर्वास-मुआवजा की योजनाओं को कार्यान्वित करने और दंगा के आरोपियों को सजा दिलाकर पीडि़तों के न्याय की गारंटी की मांग की गयी है. संवाददाता सम्मेलन को मुख्यमंत्री से मिलने जा रहे प्रतिनिधिमंडल ने बिहार में हाल के दिनों में अपराध की बढ़ती घटनाओं और खासकर दलितांे-महिलाओं के ऊपर बढ़ते हमले पर गहरी चिंता व्यक्त की और कहा कि नवादा के कझिया गांव में भाजपा संरक्षित अपराधियों द्वारा 60 दलित बस्तियों को जलाये जाने की घटना बेहद चिंतनीय है. सरकार को इस मामले में तत्काल पहल करके सभी पीडि़त परिवारों के पुनर्वास की व्यवस्था करनी चाहिए. प्रतिनिधिमंडल ने मुजफ्फरपुर में नागरिक समाज द्वारा आयोजित ‘मैं जेएनयू बोल रहा हूं’ कार्यक्रम के उपर संघ-भाजपा हमले की तीखी निंदा की तथा इस मामले में जिला प्रशासन के पक्षपातपूर्ण रवैये की उच्चस्तरीय जांच करने तथा प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए नगर निगम के आयुक्त को, जिन्होंने बगैर सूचना दिए कार्यक्रम के लिए आवटित आम्रपाली आॅडिटोरियम का आवंटन रद्द कर दिया था, अविलंब पद से हटाने की मांग की. औरंगाबाद गोलकांड-2012 में मानवाधिकार आयोग द्वारा पूर्व विधायक राजाराम सिंह को दोषमुक्त करने और प्रशासन पर हर्जाना तय करने के बावजूद इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की गयी.

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