नयी दिल्ली 19 मार्च, उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने हाल के वर्षों में मीडिया में सम्पादकीय साहस का परिचय देने तथा उच्च पेशेवर एवं नैतिक मानदंडों का अनुसरण करने की क्षमता में आई गिरावट पर आज चिंता जताई। डा़ अंसारी ने कहा कि सम्पादक के पास किसी चीज को लेकर धारणा बनाने और उसे लेकर राष्ट्रीय बहस का एजेंडा तय करने की ताकत होती है। ज्यादा पहले की बात नहीं है, जब समाचार-पत्रों के सम्पादक उच्च बौद्धिक स्तर वाले व्यक्ति हुआ करते थे, जिनकी बातों पर देश भरोसा करता था। अब यह स्थिति लगभग खत्म होती जा रही है। वह ‘आज के मीडिया में सम्पादकों की भूमिका’ विषय पर राज्यसभा टेलीवजिन चैनल द्वारा आयोजित एक संगाष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि पत्रकारिता के मूल्यों को अक्षुण्ण रखने के लिए एक सम्पादक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि खबर सही और प्रासंगिक हो एवं निष्पक्ष हो और उसे सम्मानित तरीके से परोसा गया हो। उपराष्ट्रपति ने समाचारों की प्राथमिकताएं तय करने की सम्पादक की जिम्मेदारियों और लाभ कमाने की अखबार मालिक की प्राथमिकताओं के बीच की बारीक रेखाओं का जिक्र करते हुए कहा कि मालिकों ने अखबारों या समाचार चैनलों की खबरों की विषय-वस्तु के निर्धारण में दखलंदाजी शुरू कर दी है, जिसके कारण खबरों के स्वतंत्र एवं निष्पक्ष प्रकाशन के मामले में भी सम्पादकों की भूमिका पर ग्रहण लगने लगे हैं।जिन मीडिया संगठनों के मालिक बड़े-बड़े उद्योगपति हैं, वहां सम्पादकों की स्थिति चिंताजनक है। सम्पादकीय और विज्ञापन के बीच एक विभाजन रेखा खींचने का यह उपयुक्त समय है।

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