नयी दिल्ली 08 मार्च, कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) की निकासी पर कर संबंधी बजटीय प्रावधानों की चौतरफा आलोचना झेलने के बाद सरकार ने इसे आज वापस ले लिया। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में आज एक बयान जारी करके इस प्रावधान को वापस लेने की जानकारी दी। ईपीएफ की निकासी और सेवानिवृत्ति से संबंधी फंड से निकासी पर फिलहाल कोई कर नहीं लगता है, लेकिन श्री जेटली ने 2016-17 के आम बजट में इन फंडों से 40 फीसदी से अधिक की निकासी पर कर के प्रावधान किये थे। इस प्रावधान का न केवल वेतनभोगी कर्मचारियों ने, बल्कि विभिन्न संगठनों ने भी इसका चौतरफा विरोध किया था, जिसके बाद सरकार पर इसे वापस लेने का दबाव बढ़ गया था।
श्री जेटली ने कहा कि ऐसी निधियों से 40 प्रतिशत से अधिक की निकासी पर टैक्स का प्रावधान सम्पूर्ण निकासी को हतोत्साहित करने और बेहतर पेंशनधारी सोसाइटी के निर्माण के इरादे से किया गया था। उन्होंने कहा कि इस तरह के कर प्रावधानों के जरिये सरकार का उद्देश्य राजस्व की उगाही करना नहीं, बल्कि पेंशन योजनाओं को बढ़ावा देना था। सरकार चाहती थी कि इस कर प्रावधानों के कारण लोग सम्पूर्ण निकासी से बचेंगे या पेंशन योजनाओं में ईपीएफ राशि का अधिक से अधिक इस्तेमाल करेंगे, लेकिन सांसदों सहित समाज के विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधियों से प्राप्त ज्ञापन को ध्यान में रखते हुए इसने प्रावधान की व्यापक समीक्षा करने का मन बनाया है। वित्त मंत्री ने कहा कि उन्हें प्राप्त ज्ञापनों में इस बात का जिक्र किया गया है कि संबंधित बजटीय प्रावधान के कारण लोगों को न चाहते हुए भी पेंशन उत्पादों में अपनी राशि निवेश करने को मजबूर होना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि कर्मचारियों को अपनी इच्छा के अनुरूप निवेश करने की आजादी मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा, “प्राप्त ज्ञापनों को ध्यान में रखते हुए सरकार इस प्रस्ताव की व्यापक समीक्षा करेगी। इसलिए अपने बजट भाषण के पैरा 138 और 139 में किये गए प्रस्तावों को मैं वापस लेता हूं। एनपीएस (राष्ट्रीय पेंशन योजना) के ग्राहकों को धन की निकासी के वक्त 40 प्रतिशत की छूट का प्रस्ताव मौजूद रहेगा।”

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