लोगों के पक्ष में बात करने से जेएनयू को कोई नहीं रोक सकता: आशुतोष कुमार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 12 मार्च 2016

लोगों के पक्ष में बात करने से जेएनयू को कोई नहीं रोक सकता: आशुतोष कुमार

  • जेएनयू छात्र आंदोलन के समर्थन में एआईपीएफ ने किया कार्यक्रम

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पटना: 12 मार्च 2016, ‘‘जेएनयू पर फर्जी इल्जाम लगाने वाले लगातार उन्माद फैलाकर इस देश को बांट रहे हैं। इस देश में आज हालत हो यह हो गई है कि दलित-आदिवासी अपने अधिकारों को लेकर सवाल उठाते हैं तो उन्हें नक्सलाइट कहा जाता है, मुसलमानों को आतंकवादी कहा जाता है और जेएनयू की छात्राओं को वेश्या कहा जा रहा है। जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया की जीभ काटने और हत्या करने के लिए पैसा देने का ऐलान किया जा रहा है। यह सब कुछ राष्ट्रभक्ति के नाम पर किया जा रहा है। हमें ऐसी राष्ट्रभक्ति कतई मंजूर नहीं है।’’ जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष आशुतोष कुमार ने आज आईएमए सभागार में एआईपीएफ की ओर से जेएनयू छात्रों के आंदोलन के समर्थन में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह कहा। 

आशुतोष कुमार ने कहा कि रोहित वेमुला की संस्थानिक हत्या के विरोध में आंदोलन के कारण उन पर और उनके साथियों पर देशद्रोह का इल्जाम लगाया गया। उन्होंने कहा कि जनता के टैक्स के पैसे से पढ़ने वाले जेएनयू के छात्र तो लगातार संघर्ष कर रहे हैं, जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों के पक्ष में अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं, पर 9000 करोड़ रुपये लेकर जिस विजय माल्या को देश से भाग जाने दिया गया, सरकार जवाब दे कि वह पैसा किसका था? श्रीश्री रविशंकर के लिए सरकार जो खर्चा कर रही है, वह उसका हिसाब जनता को दे। लोगों के पक्ष में बात करने से जेएनयू को कोई नहीं रोक सकता। हम अपनी चेतना को बेचने को तैयार नहीं हैं। भगतसिंह को भी सेडिशन के कानून के तहत ही अंग्रेजों ने फांसी पर चढ़ाया था, जिन्होंनेे कहा था कि गोरे अंग्रेज चले जाएंगे और काले अंग्रेज आएंगे, उनके खिलाफ भी लड़ाई लड़नी होगी। उन्होंने यकीन था कि उनके बाद भी उनकी लड़ाई जारी रहेगी और आज वह लड़ाई जारी है। 

जेएनयू छात्र संघ के पूर्व महासचिव संदीप सौरभ ने कहा कि मोदी सरकार के आने के बाद शिक्षण संस्थानों पर हमले बढ़े हैं।  9 फरवरी की घटना के बाद जो तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनाई गई, उसके सारे सदस्यों का भाजपा से जुड़ाव था। इन लोगों ने जानबूझकर छात्रनेताओं पर फर्जी इल्जाम लगाए। सरकार को हर हाल में छात्रनेताओं पर लगाए गए ‘देशद्रोह’ के इल्जाम को वापस लेना होगा। उन्होंने कहा कि भाजपा और आरएसएस जो कर रहे हैं, वह राष्ट्रवाद नहीं बल्कि फासीवाद है, जो मीडिया के कंधे पर सवार होकर आ रहा है। भारत में राष्ट्रवाद साम्राज्यवाद के खिलाफ संघर्ष के जरिए विकसित हुआ था, जिससे आरएसएस हमेशा अलग रहा। उसने स्वाधीनता आंदोलन से गद्दारी की और राष्ट्रीय झंडे की भी विरोधी रही। दरअसल आज भाजपा के सारे जुमलों की विफलता साबित हो गई है, इसी कारण वह आने वाले चुनावों के लिए उन्माद भड़का रही है। लेकिन एक बड़ी जनगोलबंदी के जरिए इनकी फासीवादी साजिश का जवाब दिया जाएगा। भगतसिंह की शहादत दिवस 23 मार्च से लेकर अंबेडकर की जयंती 14 अप्रैल तक पूरे देश में मोदी सरकार की साजिशों के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा। 

संदीप सौरभ ने कहा कि हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में रोहित वेमुला और उनके साथियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए भाजपा सरकार, उसके दो-दो केंद्रीय मंत्रियों और प्रशासनिक अधिकारी स्पष्ट तौर पर जिम्मेवार थे। रोहित की मौत के बाद कैंपसों के अंदर दलितों के दमन और उनके साथ भेदभाव के सवाल देश भर में उठे। इस आंदोलन में जेएनयू के छात्रों की भागीदारी के कारण ही उसे निशाना बनाया गया और उसे ‘देशद्रोह’ से जोड़ा गया। सरकारी नीतियों के खिलाफ आंदोलनरत लोगों और प्रगतिशील विचारधारा वालों को बदनाम करना वैसे भी भाजपा-आरएसएस का पुराना पेशा है। पिछले साल जब जेएनयू के छात्र देश की शिक्षा को डब्ल्यूटीओ के आगे गिरवी रख देने की सरकारी नीतियों के लिखाफ आक्युपाई यूजीसी आंदोलन चला रहे थे, उस वक्त एमएचआरडी की ओर से सुब्रम्हण्यम स्वामी को जेएनयू के अगले कुलपति के तौर पर प्रचारित किया जा रहा था और स्वामी लगातार जेएनयू के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे थे। 

पूर्व आईजी उमेश सिंह ने कहा कि आज लोकतंत्र ही आईसीयू में चला गया है। एक बुरी सरकार के बाद उससे भी ज्यादा बुरी सरकार आ गई है। यह सरकार बहसों से भाग रही है। कुव्यवस्था, भ्रष्टाचार, महंगाई और बेरोजगारी को यह सरकार बढ़ा रही है। एडवोकेट जावेद अहमद ने कहा कि ‘सबका साथ सबका विकास’ का सरकारी नारा बिल्कुल फर्जी है। जेएनयू इस सरकार के खिलाफ जनता के आक्रोश का प्रतीक है, उसके साथ खड़ा होना जरूरी है। धन्यवाद ज्ञापन एआईपीएफ के श्यामनंदन प्रसाद सिंह ने किया, जबकि संचालन आइसा नेता निखिल कुमार ने किया. इस मौके पर संतोष सहर, सुधीर सुमन, अभ्युदय, कमलेश शर्मा, उमेश सिंह, नवीन कुमार सहित कई लोग शामिल थे. 

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