नयी दिल्ली,12 मार्च, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में सुधार पर जोर देने की वकालत करते हुए आज कहा कि 70 वर्ष पूर्व स्थापित किए गए ब्रेटन वुड्स संस्थान मौजूदा वक्त की चुनौतियों से निपटने में पूरी तरह सक्षम नहीं हैं। श्री मोदी ने यहां आयोजित ‘एडवांसिंग एशिया कॉन्फेंस 2016’ को संबाेधित करते हुए कहा कि आईएमएफ कोटे में विस्तार का तात्पर्य कुछ खास देशों की शक्तियों को बढ़ाना नहीं बल्कि यह समानता का मुद्दा है। उन्होंने कहा,“मुझे प्रसन्नता है कि आईएमएफ ने कोटे में बदलाव संबंधित अंतिम निर्णय 2017 तक कर लेने का फैसला किया है। यह वैश्विक अर्थव्यवस्था में बदलाव और उभरती अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों की भागीदारी को दर्शाता है।
श्री मोदी ने अपने संबोधन में 1944 में हुई उस बैठक का जिक्र किया जिसके बाद आईएमएफ की स्थापना हुई थी। इस बैठक में भारत भी शामिल हुआ था। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत हमेशा बहुपक्षवाद पर विश्वास करता है। उन्होंने कहा,“ हमारे संबंध 70 वर्ष से भी पुराने हैं।” उन्होंने कहा कि 21वीं सदी एशिया की थी और रहेगी और एशिया में भारत का विशेष स्थान है। उन्होंने कहा कि भारत ने एशिया के विकास में कई प्रकार से योगदान दिया है। तीन दिनाें तक चलने वाले इस सम्मेलन में एशिया के समक्ष मुख्य सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों पर चर्चा के साथ ही इस बात पर भी विचार विमर्श किया जाएगा कि किस प्रकार से आर्थिक नीतियां रोजगार के नए अवसर पैदा करने के साथ ही सामाजिक विकास को आगे बढ़ा सकती हैं।

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