खेत मजदूरों व किसानों की विरोधी है पटना-दिल्ली की सरकार: राजाराम सिंह - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 10 मार्च 2016

खेत मजदूरों व किसानों की विरोधी है पटना-दिल्ली की सरकार: राजाराम सिंह

  • बटाईदारी के सवाल पर विधानसभा में चुप रहते हैं जदयू-राजद और भाजपा के लोग, नया बटाईदारी कानून लाओ
  • अखिल भारतीय किसान महासभा और अखिल भारतीय खेत मजदूर ग्रामीण महासभा की ओर से विधानसभा के समक्ष दिया गया एकदिवसीय धरना

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पटना 10 मार्च 2016, अखिल भारतीय किसाना महासभा के राष्ट्रीय महासचिव सह पूर्व विधायक काॅ. राजाराम सिंह ने आज विधानसभा के समक्ष गर्दनीबाग स्थित धरना कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि दिल्ली हो या पटना की सरकार, दोनों किसानों व खेत मजदूरों की घोर विरोधी है. गर्दनीबाग स्थित धरना स्थल पर धरना को संबोधित करने वाले अन्य नेताओं में भाकपा-माले के पूर्व सांसद व खेग्रामस के राश्टीय अध्यक्ष रामेश्वर प्रसाद, भाकपा-माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, विधायक सुदाम प्रसाद आदि शामिल थे. राजाराम सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने के बजट में क्रेडिट की कमी और खरीद संकट पर कोई जोर नहीं दिया है, जो गहराती कृषि संकट का मूल है. कर्ज में डूबे प्रत्येक साल हजारों किसान आत्महत्या कर रहे हैं, लेकिन सरकार इस संकट के समाधान की बजाए पूंजीपतियों और कारपोरेट घरानों को ही मालामाल कर रही है. केंद्रीय बजट में खाद्य सुरक्षा अधिनियम, जिसे संपूर्णता में लागू किया जाना है, का उल्लेख तक नहीं है. सार्वजनिक वितरण प्रणाली में केवल उचित मूल्य पर तीन लाख ‘आॅटोमोशन’ दुकानों के प्रस्ताव का जिक्र किया गया है. सरकार पीडीएस योजना, मनरेगा योजना सब में कटौती कर रही है.

रामेश्वर प्रसाद ने धरना को संबोधित करते हुए कहा कि एक तरफ केंद्र सरकार गरीबों के हक-अधिकार में कटौती कर रही है, तो दूसरी ओर उसने दलितों-अकलियतों और छात्रों पर हमला तेज कर दिया है. हैदराबाद के दलित शोध स्काॅलर रोहित वेमुला प्रकरण से लेकर जेएनयू के घटनाक्रम ने दिखलाया है कि मोदी सरकार किस तरह इस देश में तानाशाही थोपना चाहती है. लेकिन जिस प्रकार से किसानों ने अपने आंदेालनों के बल पर केंद्र सरकार को भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को वापस लेने के लिए विवश किया है, उसी तरह उसे सभी जनविरोधी नीतियों को वापस लेना होगा. तरारी विधायक सुदामा प्रसाद ने कहा कि बिहार में पिछले तीन वर्षों से कम बारिश के कारण खेती संकटमें है. पिछले वर्ष के धान खरीद का पैसा अभी तक नहीं मिला और इस वर्ष तो धान की खरीद ही नहीं हो रही है. इस सवाल पर हम विधानसभा के अंदर और बाहर दोनों जगहों पर लड़ रहे हैं. बिहार में 60 फीसदी से अधिक खेती बटाईदारी पर होती है, लेकिन सरकार बर्टादारों को कोई कानूनी हक नहीं दे रही है. कई वर्षों से सूखे की मार झेल रहे किसानों को फसल क्षति का मुआवजा नहीं दिया गया है और इस बार लागत ज्यादा आने के बावजूद धान उत्पादक किसानों को बोनस नहीं दी गयी, सिंचाई के सभी संसाधन ध्वस्त है.

खेग्रामस के राज्य सचिव वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने कहा कि बिहार सरकार के बजट में भी कृषि क्षेत्र और गरीबों की घोर उपेक्षा की गयी है. सरकार के तमाम दावों के बावजूद गरीबों को उजाड़ा जा रहा है. नवादा जिले में कई दलित बस्तियों को उजाड़ दिया गया. यदि कहीं पर्चाधारियों को जमीन का पर्चा है, तो दखल नहीं है और यदि दखल है तो जमीन पर कब्जा नहीं है. अभी भी बिहार के लाखों परिवार बेघर हैं. किसान महासभा के राज्य सचिव विशेश्वर प्रसाद ने कहा कि धान अधिप्राप्ति के कठोर व उलझणपूर्ण नियमों के कारण पैक्स/व्यापार मंडलों द्वारा धान क्रय नहीं किया जा रहा है. एसएफसी भी सीधे किसानों से धान की खरीद नहीं किया जा रहा है, जिसके कारण किसानों केा औने-पौने में अपना धान व्यापारियों के हाथों बेचना पड़ रहा है. पैक्सों/व्यापार मंडलों द्वारा खरीदे गये धान का इन्र्फोसमेंट बनाने में सीओ तथा चावल गिराने के लिए इनफोर्समेंट देने के लिए एसएफसी प्रबंधक द्वारा कमीशन की मांग लिये जाने के कारण ये लोग धान नहीं खरीद रहे हैं.

खेमस नेता गोपाल रविदास ने कहा कि आज एक तरफ बिहार के गरीब भूख से मौत का सामना कर रही हैं, तो दूसरी ओर गरीबों केा अनाज के बदले राशि देने की नीति अपनायी जा रही है. इस योजना को तत्काल वापस लेना चाहिए. गरीबों को वास की जमीन व इंदिरा आवास देने में सरकार आनाकानी कर रही है. इन नेताओं के अलावा किसान नेता उमेश सिंह, राजेन्द्र पटेल आदि नेताओं ने भी धरना को संबोधित किया.

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