प्रथम अंन्तरराष्ट्रीय नाट्य महोत्सव से गुलजार हुआ बिहार
प्रद्योत कुमार बेगूसराय । विगत दिनों आर्शीवाद रंगमंडल बेगूसराय के द्वारा सांस्कृतिक मंत्रालय बिहार सरकार एवं भारत सरकार के वित्तीय सहयोग से बिहार में पहली बार विश्व रंगमंच दिवस के सुअवसर पर अन्तरराष्ट्रीय महोत्सव 2016 सम्पन्न हुआ । इस नाट्य महोत्सव में पांच देशों के कलाकारों ने अपने सांस्कृतिक विरासत का सफल मंचन किया, जिसमें मानव संवेदनाओं के दर्द को सबने अपने-अपने अंदाज में प्रस्तुत किया । मानव संवेदना का दर्द एवं उसकी परेशानी एक ग्लोवल समस्या के रूप में उभर कर आया इस पूरे अन्तरराष्ट्रीय महोत्सव में । इसके अलावे रतन थियम के कोरस थियेटर रिपेटरी मणिपुर के द्वारा शेक्सपीयर लिखित मैकवेथ नाटक, गरीब नवाज निदेशक देवेन्द्र राज अंकूर सम्भव दिल्ली का सफल मंचन किया गया, वहीं जमलीला, निदेशक अर्जुन देवचारण रम्मत राजस्थान की प्रस्तुति दर्शकों को बांधने में सफल नहीं रहा, वहीं दो औरतें अमीत रौशन निदेशित नाटक में रिंटु कुमारी का अभिनय उसकीे प्रतिभा से काफी कम दिखा जो दर्शकों को आकर्षित नहीं कर सका । विदेशी नाटकों की प्रस्तुति में नाॅर्वे की ग्रुसोम हेटेन्श थियेटर की व्हाट ऐ ग्लोरियस डे निदेशित लार्स आयोन, एक्स थियेटर ऐशिया ताइवान चोंगथम जयंत मित्तयी निदेशित नाटक द साउंड आॅफ ऐ व्हाइस, फिलिपिन्स के नाट्य दल टेटरो ग्वीनडेगेन फेलिमोन ब्लैंको निदेशित नाटक पेच्ड, वहीं डस्ट टू डस्ट निदेशक हम्प पे चिंग परफाॅरमौर्सा ,थियेटर ताइवान एवं नाटक द मेटामारफोसिस निदेशक कमालुदद्ीन नीलू कैट बंगला देश की बेहतरीन प्रस्तुति से टाउन हाॅल बेगूसराय लगभग सात सौ दर्शको से भरा रहता था । बेगूसराय के दर्शकों का सहयोग पाकर विदेशी कलाकारों ने भी नाट्य प्रस्तुति का आनंद लिया । सास्कृतिक मंत्रालय के उददेश्य को प्रत्येक वर्ष आर्शीवाद रंगमंडल के अमित रौशन ने फ्री शो दिखाकर ज्यादा से ज्यादा नाट्य दर्शकों एवं स्थानीय रंगकर्मीयों को इसका लाभ देने का कार्य किया है । वहीं द फैक्ट रंगमंडल के प्रवीण कुमार गुंजन के द्वारा रंग ए माहौल नाट्य समारोह का आयोजन प्रतिवर्ष सांस्कृतिक मंत्रालय के वित्तीय सहयोग से किया जाता है पर गंुजन के द्वारा शो में दर्शकों से नाटक देखने का विभिन्न दरों का टिकट लिया जाता है जिससे कि बहुत दर्शक रंगकर्मी नाटक देखने से वंचित रह जाते है । इसका साफ अर्थ यह है कि फैक्ट रंगमंडल वर्षो से सांस्कृतिक मंत्रालय ,भारत सरकार एवं बिहार सरकार के उददेश्य को ताक पर रख कर चुनौती देने का कार्य कर रहा है । सबसे हैरत की बात तो यह है कि इस अन्तरराष्ट्रीय नाट्य महोत्सव के दौरान देश एवं राज्य के कई कददावर नेता आते रहे और आयोजक एवं अन्य रंगकर्मीयों के द्वारा दिनकर कला भवन के अलावे बेगूसराय को एक अत्याघुनिक रंगशाला की आवश्यकता है मांग होती रही नेता जी आते और जाते रहे मांग आहिस्ता आहिस्ता खामोशी में तब्दील होती चली गयी ख्वाब बिखरते रहे लेकिन नेताओं का आश्वासन तक नहीं मिला ं। इस महोत्सव की अध्यक्षता श्री भोेला सिंह सांसद बेगूसराय स्वगताध्यक्ष श्रीमति अमिता भुषण विधायक बेगूसराय एवं उदघाटनकर्ता श्री रतन थियम अघ्यक्ष राष्टीय नाट्य विद्यालय नई दिल्ली और श्री श्याम शर्मा अघ्यक्ष राष्ट्रीय कला दीर्घा समिति संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार ने की।
बेगूसराय मेडिकल काॅलेज है ख्वाब या हकीकत
प्रदयोत कुमार, बेगूसराय।, 7 फरवरी 2007 दिन बुधवार, कृष्णपक्ष पंचमी तिथि, बेेगूसराय के जिलावासियों के लिए एक ऐतिहासिक तारीख हेै, क्योंकि बेेगूसराय की पाक जमीन पर राजनीति के नापाक इरादे ने दस्तक दिया था, जिससे कि बेगूसराय के जिलावासियो का मस्तक गर्व से ऊँचा हो गया था । इसलिए कि उक्त तारीख को श्री नीतीश कुमार माननीय मुख्यमंत्री ने जगतगुरू रामानंदाचार्या चिकित्सा महाविद्यालय सह अस्पताल का शिलान्यास एवं जगतगुरू कि प्रतिमा का अनावरण किया था, रामजानकी ठाकुरबाडी, सूजा में । आज नौ वर्षो के बाद भी राजनीति या सत्ता के गलियारोे से कोई नीतिगत फैसला इस मंेडिकल काॅलेज के बारे में नही लिया गया है जबकि बिहार विधानसभा चुनाव 2015 मे महागठबंधन को बेगूसराय की जनता ने सात विधानसभा सीटों में सातो सीट महागठबंधन को दे दिया लेकिन अभी तक स्थिति ढाक के तीन पात जैसी है । ? मुख्यमंत्री बिहार सरकार के द्वारा उदधाटन करने के बाद भी अभी तक उदघाटन स्थल पर एक ईट तक नहीं गडा है आखिर क्या वजह हो सकती है। क्या राजनीति के नापाक इरादे के चक्रव्यूह में मुख्यमंत्री बिहार सरकार ने इसका उदघाटन किया था । सूत्रों की माने तो रामजानकी ठकुरबाड़ी ट्रस्ट सूजा की सोलह बीघा जमीन को पांच करोड़ में इलाहाबाद मुख्य शाखा पटना को बतौर गिरवी रखा दिया गया है । इस काॅलेज के कार्य के लिए। इससे यह आइने की तरह साफ हो जाता हैै कि बिहार सरकार द्वारा उक्त मेडिकल काॅलेज को पारित नहीं किया गया था ंऔर अगर किया जाता तो सरकार ट्रस्ट की जमीन को काॅलेज बनवाने के लिए माॅरगेज नहीं करती । अन्य सूत्रों का कहना है कि यहाॅ मेंिडकल काॅलेज नहीं बल्कि काॅलेज की आड. में एक अस्पताल खोलने की बात थी तो सवाल उठता है क्या मुख्यमंत्री बिहार सरकार ने बगैर तथ्य की जानकारी लिये उदघाटन करने चले आये, यह एक बड़ा सवाल है क्योंकि इससे बेगूसराय की जनता जुड़ी हुई है, यहाॅ के छात्र छात्राओ का भविष्य जुड़ा हुआ है। सवाल यह भी उठता है कि क्या मुख्यमंत्री पद की गरिमा इतना फुहड़ हो गया है । अगर उक्त फैसला बिहार सरकार ने लिया तो ट्रस्ट की जमीन पर कर्ज क्यों लिया गया और नौ वर्षो के बाद भी काॅलेज बनने का कार्य प्रारम्भ क्यों नहीं हुआ । ये बात भी उतना ही सच है कि दिसम्बर 2015 में महागठबंधन की नई सरकार ने बिहार में पाॅच नया मेडिकल काॅलेज बनवाने की घोषणा की है। ध्यान रखने कि बात है, सिर्फ घोषणा ही की है । अब सवाल यह कि अगर घोषणा जमीनी हकीकत में बदलता है तो किया बेगूसराय की जनता की आॅखों ने जो ख्वाब देखें है क्या उसे पूरा किया जाएगा या फिर कोई नई राजनीतिक रंजिश की भेंट चढ़ा दी जाएगी बेगूसराय मेंडिकल काॅलेज को ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें