नयी दिल्ली, 21 अप्रैल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नौकरशाहों को अपने कामकाज के तौर तरीकों में नये-नये प्रयोग करने और जनभागीदारी के माध्यम से देश में परिवर्तन के लिये जुटने का आज आह्वान किया। श्री मोदी ने दसवें सिविल सर्विस दिवस कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित करते हुए प्रशासनिक अधिकारियों को बीसवीं सदी की जकड़न भरी सोच से मुक्त होकर नयी सोच और कुछ कर दिखाने की भावना के साथ देशवासियों के कल्याण के काम करने की बात कही। उन्होंने देश के सभी साढ़े छह सौ से अधिक ज़िलों के बीच कार्यक्रमों एवं उपलब्धियों को लेकर एक स्वस्थ स्पर्द्धा का भी आह्वान किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह, कैबिनेट सचिव पी के सिन्हा, नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत, सचिव (प्रशासनिक सुधार एवं जनशिकायत) देवेन्द्र चौधरी मौजूद थे। श्री मोदी ने कहा कि भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित लोगों को सवा सौ करोड़ लोगों के भाग्य को बदलने का सुअवसर मिला है। अगर उनमें कुछ कर दिखाने का इरादा नहीं हो तो यह मौका किस काम का। उन्होंने कहा कि लाेकतांत्रिक भावना के अनुरूप वैश्विक स्पर्द्धा के कारण भारत में लोगाें की अपेक्षायें बढ़ीं हैं और उससे आगे बढ़ने का एक माहौल बना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज समय की माँग है कि हर व्यक्ति को बदलाव के लिये कारण बनना है। हमें तेजी से काम करना है। रीति, नीति एवं रणनीति में बदलाव के लिये काम करना होगा। हमें अपने ढाँचे से बाहर जाकर प्रयोग भी करने होंगे और उसका जोखिम भी उठाना होगा। पुरानी सदी की सोच से काम नहीं चलेगा। दुनिया में हो रहे तकनीकी बदलावों को शासन में लाकर योजनाओं को जमीन पर सफल बनाना है। उन्होंने ‘रिफॉर्म टू परफॉर्म टू ट्राँसफॉर्म’ का मंत्र देते हुए कहा कि सबसे कठिन काम परफॉर्म करना है, उसे आसान बनाना होगा। इसी से देश ट्राँसफॉर्म होगा
श्री मोदी ने कहा कि ‘सिविल सर्वेन्ट’ यानी लोक सेवक ‘सिविल सोसाइटी’ यानी लोक समाज का ही अंग हैं। उससे अलग कतई नहीं हैं। इसलिये लोक सेवकों की सफलता लोकसमाज की भागीदारी से काम करने से ही सुनिश्चित होगी।
प्रधानमंत्री ने वरिष्ठ अधिकारियों को पीढ़ीगत अंतर को समझाते हुए सलाह दी कि नयी उम्र के कनिष्ठ अधिकारियों से बात करें और उन्हें काम करने के अधिक अवसर दें क्याेंकि वे तकनीकी बदलावों को समझने में सक्षम हैं और इसलिये समस्याओं के नये हल देने में कामयाब हो सकते हैं। उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को अपने कैरियर के आरंभ के दायित्व वाली जगह जाने एवं देखने की सलाह को भी उपयोगी बताते हुए कहा कि इससे उन्हें प्रेरणा मिलेगी।
उन्होंने सरकारी विभागों में अधिकारियों के बीच परस्पर संवाद बढ़ाने एवं एक दूसरे की कार्य परिस्थितियों को समझने पर भी बल दिया और कहा कि इससे टकराव एवं विरोधाभास समाप्त होंगे।
प्रधानमंत्री ने अंत में एक सुझाव भी दिया कि अधिकारी इस साल मई जून के महीने के लिये जल संचयन की कोई योजना बनायें जिससे पानी को रोका जा सके और भविष्य में उससे किसानों एवं ग्रामीणों को लाभ मिलेगा। इस मौके पर नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने एक प्रेजेन्टेशन भी पेश किया।

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