नयी दिल्ली, 27 अप्रैल, सांसदों को संसदीय कार्यवाही में भाग लेने के लिये ऑड-ईवन के नियम से छूट नहीं दिये जाने से क्षुब्ध लोकसभा सचिवालय ने आज कहा कि सांसदों को लाने-ले जाने में वह पूरी तरह से सक्षम है और उसे दिल्ली सरकार की मदद की कोई दरकार नहीं है। लोकसभा सचिवालय के प्रवक्ता एवं सचिव डी. भल्ला ने आज यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि सांसदों को लाने-ले जाने के लिये संसद के पास 25 वाहनों का दस्ता है जिनमें सचिवालय की 18 इनोवा गाड़ियां और दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) से स्थायी रूप से किराये पर मारुति वेर्सा गाडियां हैं। इसके अलावा दस गाड़ियां संसदीय सुरक्षा विभाग की हैं जो सांसदों को अंदर से बाहर लाती ले जातीं हैं। ऑड-ईवेन लागू होने से एक दिन 12 आैर दूसरे दिन 13 गाड़ियां रह गयीं। इस स्थिति से निपटने के लिये नौ और गाड़ियां भारत पर्यटन विकास निगम (आईटीडीसी) से ली गयीं हैं। संवाददाताआें के सवालों के जवाब में श्री भल्ला ने कहा कि दिल्ली सरकार ने सांसदों की मदद के लिये लोकसभा सचिवालय को बसें देने की पेशकश की थी और संसद के सत्र के पहले दिन 25 अप्रैल को छह बसें आयीं थीं लेकिन उनमें से एक बस ही उपयोग की गयी और पाया गया कि सुरक्षा समेत कई कारणों से उनकी उपयोगिता नहीं है। इसलिये अनुपयोगी होने के नाते दूसरे दिन सभी बसें वापस कर दीं गयीं। उन्हाेंने कहा कि दिल्ली सरकार को समस्या बतायी गयी है लेकिन उन्होंने छोटे वाहन देने में असमर्थता जतायी थी।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि लोकसभा सचिवालय ने दिल्ली सरकार से इस योजना के आने के पहले ही आग्रह भेजा था कि जिस प्रकार से वकीलों एवं डॉक्टरों को ऑड-ईवेन से छूट दी जा रही है, उसी प्रकार देश के काम के लिये संसद में आने वाले सांसदों को भी छूट दी जानी चाहिये। लेकिन दिल्ली सरकार इस पर कोई निर्णय नहीं ले पायी है। यह पूछे जाने पर कि क्या लाेकसभा सचिवालय ऑड-ईवेन योजना को लेकर दिल्ली सरकार के सांसदों के प्रति रवैये से खुश नहीं है, श्री भल्ला ने कहा कि लोकसभा सचिवालय के प्रवक्ता के नाते दिल्ली सरकार की नीति या निर्णय पर वह कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। जो भी नियम है, उसका पालन किया जाएगा। मगर सवाल यह है कि सांसदों को संसद में बहस के लिये आना और देश के लिये कानून बनाना, क्या डॉक्टरों एवं वकीलों के काम से कम महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने सांसदों के लिये जो बसें भेजीं थीं, उनके लिये 12 हजार रुपये प्रति बस प्रतिदिन शुल्क था और लोकसभा सचिवालय ने पहले दिन इस्तेमाल की गयीं बस के लिये पैसे का भुगतान भी किया है।
लेकिन ये बसें अनेक वजहों से उपयोगी नहीं पायीं गयीं। अगले दिन लोकसभा सचिवालय ने डीटीसी की बसों को हाथ जोड़कर वापस कर दिया है। यह पूछे जाने कि उन्हें सांसदों के लिये दिल्ली सरकार से क्या मदद चाहिये, उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार से सांसदों को काेई मदद नहीं चाहिये। लोकसभा सचिवालय अपने आप में सक्षम है। करीब 50 गाड़ियों के माध्यम से अपने सांसदों काे सेवा में कोई कमी नहीं आने दी गयी है। उन्होंने बताया कि आम दिनों में संसद के परिवहन प्रकोष्ठ में सांसदों से 550 अनुरोध प्राप्त होते हैं तथा इस सत्र में 550 से 600 अनुरोध आये और सभी अनुरोधों पर संतोष जनक ढंग से कार्रवाई की गयीं। उन्होंने कहा कि आगे यदि जरूरत पड़ी तो आईटीडीसी या अशोक टूर्स एंड ट्रैवल्स से और गाड़ियां मंगा ली जाएंगीं। उन्होंने यह भी बताया कि निचले सदन के सांसदों ने राज्यसभा सदस्यों की तरह दो वाहनों के लिये स्टीकर देने की मांग की है जिस पर विचार किया जा रहा है। श्री भल्ला ने कहा, “माननीय सांसदों को किसी प्रकार का कष्ट नहीं होने दिया जाएगा।”

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