नयी दिल्ली, 21 अप्रैल, कांग्रेस ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन हटाने के नैनीताल उच्च न्यायालय के आदेश को लोकतांत्रिक एवं गणतांत्रिक मूल्यों की जीत बताते हुए आज उम्मीद जतायी कि इस फैसले से ‘लालची लोगों’ के अन्य राज्यों में षड़यंत्र रुक जाएंगे। पार्टी प्रवक्ता एवं उच्च न्यायालय में कांग्रेस के वकील अभिषेकमनु सिंघवी ने कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ कि विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को लेकर संविधान के अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग करते हुए राष्ट्रपति शासन लगाया है। उन्होंने कहा कि ऐसा भी पहली बार हुआ कि मुख्यमंत्री एवं राज्यपाल के बीच पत्राचार एवं सदन के पटल पर बहुमत सिद्ध करने के निर्देश को लेकर कोई मतभेद नहीं था और मुख्यमंत्री ने 28 मार्च को सदन के पटल पर बहुमत साबित करने की सलाह को स्वीकार कर लिया था लेकिन इसके बावजूद 27 मार्च को केन्द्र सरकार ने राष्ट्रपति शासन लगा दिया। श्री सिंघवी ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय को अवरुद्ध करने के प्रयास में लोकतंत्र पर ऐसा आक्रमण पहले कभी नहीं किया गया।
उन्होंने कहा कि कुछ लालची लोग हिमाचल प्रदेश, मणिपुर आदि राज्यों में इस लालच को संविधान के दायरे के बाहर ले जाकर सत्ता हथियाने का प्रयास कर रहे हैं। उच्च न्यायालय के फैसले से कांग्रेस का हौसला बढ़ा है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सत्ता प्राप्त करने का एकमात्र तरीका चुनाव होता है। आशा है कि अब ये षड़यंत्र अन्य राज्यों में रुक जाएगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में अब 27 मार्च की स्थिति बहाल हो गयी है। उच्च न्यायालय ने 28 मार्च को होने वाले सदन में बहुमत परीक्षण की नयी तारीख 29 अप्रैल तय की है। कांग्रेस निर्धारित तारीख को सदन में बहुमत साबित करेगी। कांग्रेस के बागी नौ विधायकों के बारे में पूछे जाने पर श्री सिंघवी ने कहा कि बागी विधायक विधानसभा से अयोग्य घोषित किये गये थे। अदालत ने उन्हें अयोग्य ठहराये जाने के फैसले पर स्थगनादेश को वापस ले लिया है जिससे वे इस समय अयोग्य ही हैं। हालांकि उनकी याचिका पर सुनवाई जारी रहेगी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा उत्तराखंंड में कांग्रेस सरकार को अभी भी अल्पमत में बताये जाने पर श्री सिंघवी ने कहा कि भाजपा को प्रतीक्षा करनी चाहिये। 29 अप्रैल को दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

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