कोहिनूर हीरा वापस लाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जायेंगे: सरकार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 20 अप्रैल 2016

कोहिनूर हीरा वापस लाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जायेंगे: सरकार

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नयी दिल्ली, 19 अप्रैल, केन्द्र सरकार ने आज स्पष्ट किया कि कोहिनूर हीरे के संबंध में कुछ समाचार पत्रों में छपी रिपोर्टें तथ्यों पर आधारित नहीं है और सरकार इस बेशकीमती हीरे को वापस लाने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी। आज रात जारी एक सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया कि कोहिनूर हीरे के संबंध में प्रेस में आई कुछ खबरें तथ्यों पर आधारित नहीं है। सरकार सौहार्दपूर्ण तरीके से इस हीरे को स्वदेश लाने के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए हरसंभव प्रयास किये जाएंगे। विज्ञप्ति में सरकार ने कहा है कि इस संबंध में एक मामला न्यायालय में है। इस बारे में एक जनहित याचिका उच्चतम न्यायालय में दायर की गई है जिसे अभी न्यायालय सुनवाई के लिए स्वीकार नहीं किया है। न्यायालय ने सॉलिसिटर जनरल से इस संबंध में सरकार का पक्ष बताने को कहा था जो अभी बताया जाना है। सॉलिसिटर जनरल ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए संदर्भ के आधार पर न्यायालय को मौखिक रूप से इस हीरे के इतिहास की जानकारी दी है।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि सरकार ने अभी तक न्यायालय में अपना पक्ष नहीं रखा है लेकिन प्रेस में गलत खबरें आ रही हैं। न्यायालय ने सॉलिसिटर जनरल को इस मामले में सरकार का पक्ष रखने के लिए छह सप्ताह का समय दिया है। साॅलिसिटर जनरल ने न्यायालय में जो स्थिति रिपोर्ट दायर की, उसमें सरकार ने कहा है कि कोहिनूर हीरा ब्रिटेन को उपहार स्वरूप दिया गया था और उसे चोरी की गई वस्तु नहीं माना जा सकता। रिपोर्ट में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु का वर्ष 1956 में दिये गये बयान का जिक्र किया गया है जिसमें उन्होंने कहा था कि इस बेशकीमती हीरे पर दावा करने का कोई आधार नहीं है। उन्होंने कहा था कि कोहिनूर हीरे को वापस लाने के प्रयास से मुश्किलें बढेगी। पंडित नेहरु ने यह भी कहा था कि किसी देश के साथ अच्छे संबंधों का फायदा उठाकर बेशकीमती उपहार लेना सही नहीं लगता जबकि यह ठीक लगता है कि विद्रेशी संग्रहालयों में भारतीय कला की वस्तुएं हों।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से सरकार के प्रयासों से तीन महत्वपूर्ण वस्तुओं को स्वदेश लाया गया। गत वर्ष अक्टूबर में जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने देवी दुर्गा की दसवीं सदी की भारत में बनीं मूर्ति को लौटाया था। यह मूर्ति वर्ष 1990 में चोरी की गई थी और 2012 में जर्मनी के एक संग्रहालय में यह पाई गई थी। अप्रैल 2015 में कनाड़ा के तत्कालीन प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर ने 900 वर्ष पुरानी ‘पैरेट लेडी’ के नाम से मशहूर एक प्रतिमा लौटाई थी। आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने वर्ष 2014 में भारत यात्रा के दौरान बुद्ध की एक प्राचीन मूर्ति लौटाई थी जो आस्ट्रेलिया की आर्ट गैलरी में रखी हुई थी। इन तीनों वस्तुओं को वापस लाने से भारत के कनाडा, जर्मनी या आस्ट्रेलिया से संबंध प्रभावित नहीं हुए। श्री मोदी ही गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए भारतीय स्वतंत्रता सेनानी श्यामजी कृष्ण वर्मा की अस्थियां उनकी मौत के करीब 70 वर्ष बाद स्वदेश लाए थे। कोहिनूर हीरे के संबंध में भी सरकार को उम्मीद है कि सौहार्दपूर्ण तरीके से इस हीरे को वापस लाया जा सकेगा जिसका देश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान है। कुछ समाचार पत्रों में ऐसी खबरें छपी थी जिनसे यह आभास होता है कि सरकार कोहिनूर हीरे को वापस लाने का प्रयास नहीं करना चाहती। 

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