बिलासपुर 21 अप्रैल, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने अपहरण के बाद दुष्कर्म से गर्भवती हुई एक युवती को नियमों को शिथिल करते गर्भपात की अनुमति दी है। न्यायमूर्ति मनीन्द्र मोहन श्रीवास्तव ने जशपुर की दुष्कर्म पीडिता की याचिका पर कल सुनवाई करते बिलासपुर के मेडिकल कॉलेज (सिम्स) प्रबंधन को निर्देशित किया है कि पांच डाक्टरों की टीम से जांच के बाद पीडिता का तत्काल गर्भपात करायें। अगर स्वास्थ्यगत कारणों से यह संभव नहीं हो, युवती की जान का खतरा हो तो इसकी रिपोर्ट 25 अप्रैल को न्यायालय के समक्ष पेश करें।
उल्लेखनीय है कि एम़ टी़ पी़ एक्ट़ के तहत गर्भपात की समय सीमा 20 सप्ताह के गर्भ तय है। कल सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि गुजरात उच्च न्यायालय ने ऐसे ही एक मामले में नियमों को शिथिल करते गर्भपात की अनुमति दी थी। न्यायमूर्ति श्री श्रीवास्तव की एकलपीठ ने युवती की पारिवारिक, आर्थिक स्थिति और उसके भविष्य को ध्यान में रखते नियमों को शिथिल करते हुए गर्भपात की अनुमति दी है।

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