पटना,23 अप्रैल, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बिहार में बंधुआ मजदूरी पर चिंता व्यक्त करते हुए आज कहा कि इस ओर खास ध्यान दिये जाने की जरुरत है । आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एच एल दत्तू ने यहां तीन दिवसीय बैठक और सुनवाई के बाद संवाददाताओं से कहा कि बिहार में बंधुआ मजदूरी कराये जाने खासकर यहां से बाहर जाने वाले मजदूरों के बंधुआ बनाये जाने की घटनायें सुनने में आती रहती हैं जो गंभीर मामला है । गैर सरकारी संगठनों ने भी इस पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में इस अहम मसले को उठाया गया है। न्यायमूर्ति दत्तू ने कहा कि बिहार से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को औसतन सात हजार शिकायतें प्रतिवर्ष मिलती हैं जो न बहुत कम हैं और न बहुत ज्यादा हैं । उत्तर प्रदेश से सर्वाधिक करीब 44 हजार शिकायतें हर साल मिलती हैं । उन्होंने हालांकि इसी के साथ कहा कि शिकायतें न मिलने का मतलब यह नहीं है कि मानवाधिकार का उल्लंघन नहीं हो रहा है। जागरुकता के अभाव में अभी लोग आयोग के पास बहुत कम संख्या में पहुंच पाते हैं ।
आयोग के अध्यक्ष ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि आयोग के सदस्यों की संख्या अभी मात्र चार है जिसे बढ़ाने के
बारे में सरकार ही विचार कर सकती है।उन्होंने कहा कि आयोग का काम सरकार को मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों में सिफारिशें भेज देना है,उसकी सिफारिशें मानना सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं है । संसद हालांकि इस बारे में कानून बना सकती है,वैसे दक्षिण अफ्रीका को छोड़कर दुनिया के किसी देश में मानवाधिकार आयोग की सिफारिशों को मानना बाध्यकारी नहीं है । न्यायमूर्ति दत्तू ने बिहार में मानवाधिकार की शिकायतें मिलने का जिक्र करते हुए कहा कि दरभंगा जिले में कैंसर से लोगों की हो रहीं मौत का संज्ञान लेने के बाद आयोग ने वहां के जिलाधिकारी और अन्य अधिकारियों को तलब किया था और आवश्यक कार्रवाई करने को कहा था ।इसके बाद वहां लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की ओर काफी ध्यान दिया गया है । आयोग के समक्ष यहां पहले दिन खुली सुनवाई में 67 मामले आये ।इनमें से 30 का पूरी तरह निपटारा कर दिया गया। दूसरे दिन आयोग की शिविर बैठक के दौरान 11 मामले आये जिनमें से तीन मामलों में पीड़ितों को मुआवजा दिलवाया गया। आयोग की बैठक यहां आठ वर्ष बाद हुई है इससे पहले वर्ष 2008 में पटना में आयोग की बैठक हुई थी। आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि मानवाधिकारों के बारे में लोगों को जागरुक करने की जरुरत है। बड़ी संख्या में लोग अपने अधिकारों के बारे अभी तक सजग नहीं हो सके हैं। मीडिया इस बारे में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है।
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