टैक्स बढ़ाकर सरकार ने लाखों बीड़ी मजदूरों को भूखमरी की कगार पर दिया है ढकेल: माले - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 26 अप्रैल 2016

टैक्स बढ़ाकर सरकार ने लाखों बीड़ी मजदूरों को भूखमरी की कगार पर दिया है ढकेल: माले

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पटना 26 अप्रैल 2016, भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल और ऐक्टू के बिहार महासचिव काॅ. आर एन ठाकुर ने संयुक्त प्रेस बयान जारी कहा है कि बिहार सरकार ने बीड़ी बनाने के लिए उपयोग में आने वाला केंदू पता पर प्रवेश शुल्क और सूखे ( बीड़ी में भरा जाने वाला तंबाकू) पर टैक्स बढ़ाकर राज्य के लाखों बीड़ी मजदूरों को भूखमरी की कगार पर धकेल दिया है. सरकार ने केंदु पता पर 8 प्रतिशत प्रवेश शुल्क (अधिकांश झारखंड के जंगलों से आता है) और सूखा पर 5 प्रतिशत टैक्स की बढ़ोतरी कर दी है. इस टैक्स बढ़ोतरी से बीड़ी के दाम में प्रति हजार 10.81 रु. की बढ़ोतरी हो गयी है. उन्होंने आगे कहा कि बिहार में बीड़ी कंपनियांे द्वारा बीड़ी मजदूरों को पता व सूखा उपलब्ध कराया जाता है और वे मामूली पैसों पर बीड़ी बनाने का कार्य करते हैं. इस कार्य में लगभग 4 लाख बीड़ी मजदूर शामिल हैं, जो मुख्यतः अल्पसंख्यक, दलित, आदिवासी समुदाय से आते हैं और इनमें महिलाओं की भी बड़ी तादाद है. टैक्स बढ़ने की वजह से लगभग 200 बीड़ी कंपनिया बंद हो गयी हैं, जिसके कारण लाखों परिवार बेराजगार हो गये हैं और एकबारगी भूखमरी की कगार पर खड़े हो गये हैं. माले नेताओं ने कहा कि केंदु पता पर लगे प्रवेश शुल्क और सूखे पर टैक्स को सरकार अविलंब वापस लेते हुए बीड़ी कारखानों को खुलवाने का कार्य करे, ताकि इन परिवारों को अपना रोजगार फिर से मिल सके. साथ ही बीड़ी मजदूरों के लिए असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को दी जाने वाली कानूनसम्मत सुविधायें भी लागू करे, पीएफ में उनका नाम शामिल करे और सभी बीड़ी मजदूरों का मेडिकल कार्ड भी बनवाया जाए.

थोथी बयानबायी की बजाए अगलगी की घटनाओं पर रोक लगाने के ठोस उपाय करे सरकार
भाकपा-माले ने बिहार में अगलगी की बढ़ती घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की है. पार्टी ने कहा है कि प्रत्येक साल गर्मी में विभिन्न कारणों से गरीबों की झोपडि़यों में आग लगती है. इस साल तो अगलगी की लगातार घटनाओं से अब तक कई लोगों की मौत हो चुकी है. चूंकि गरीबों के पास घर के नाम पर फूस की झोपडि़यां हैं, इसलिए वे आसानी से आग की लपेट में आ जाती हैं. लेकिन ऐसी गंभीर समस्याओं के प्रति हमारी सरकार का रवैया बेहद संवेदनहीन रहा है, जिसका नतीजा है इस तरह की घटनायें लगातार बढ़ती ही जा रही हैं. यदि अब तक सभी गरीबों के पक्के मकान बन गये होते तो इस तरह के भयानक हादसों को टाला जा सकता था. लेकिन केंद्र की सरकार हो या फिर बिहार की नीतीश सरकार, ये दोनों सरकारें गरीबों का नाम लेते तो नहीं अघाती लेकिन गरीबों के जरूरी सवालों पर एक शब्द तक नहीं बोलती. आए दिन मोदी जी खुद को चाय बेचने वाला बताते रहते हैं और नीतीश कुमार राष्ट्रीय राजनीति में दखल के दावे में मशगूल हैं. लेकिन इंदिरा आवास योजना के तहत सभी गरीबों को आवास मिल सके, यह इन लोगों की प्राथमिकताओं में कहीं नहीं है.  आधी से अधिक आबादी के पास पक्का मकान नहीं है. अगलगी की घटनाओं ने एक बार फिर से इस सच का सामने लाया है कि सरकार का आपदा प्रबंधन पूरी तरह फेल है. जिलों में दमकल नहीं हैं, दमकल हैं तो ड्राइवर नहीं हैं. इस कारण समय पर आग बुझाना संभव नहीं रह पाता. भाकपा-माले ने मांग की है कि सरकार को इंदिरा आवास योजना को शीघ्रता व संपूर्णता में लागू किया जाना चािहए ताकि हरेक गरीब परिवार के पास पक्का मकान हो सके और अगलगी जैसी घटनाओं से बचा जा सके. साथ ही आपदा प्रबंधन विभाग को सरकार मजबूत बनाये और पंचायत स्तर पर दमकल की व्यवस्था करे.

जेएनयू के छात्रों पर दंडात्मक कार्रवाई निंदनीय
भाकपा-माले ने कहा है कि उच्चस्तरीय जांच टीम का हवाला देकर आइसा सहित जेएनयू छात्र संघ के नेताओं व छात्रों पर की गयी दंडात्मक कार्रवाई पूरी तरह निंदनीय है. यह कार्रवाई केंद्र की मोदी सरकार के इशारे पर हुआ है. देश के छात्र-युवा समुदाय इसका जोरदार प्रतिरोध करें.

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