नयी दिल्ली, 20 अप्रैल, केन्द्र सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई के मुद्दे पर मीडिया में आ रही कुछ रिपोर्टों काे आज खारिज करते हुये कहा कि कानून मंत्रालय सजा माफी के अनुरोध पर विचार कर रहा है और याचिका को अभी खारिज नहीं किया गया है। केन्द्र सरकार का आज का रूख तीन मार्च को लोकसभा में दिए केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह के बयान से अलग नहीं है। श्री सिंह ने कहा था कि हत्यारों की रिहाई के संबंध में तमिलनाडु सरकार के प्रस्ताव पर केन्द्र सरकार विचार कर रही है और सरकार उच्चतम न्यायालय के फैसले का पालन करेगी। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने ‘यूनीवार्ता’ से कहा, “तमिलनाडु सरकार की सजा माफी की याचिका खारिज करने की रिपोर्ट सही नहीं है। यह मामला कानून मंत्रालय के विचाराधीन है लेकिन यह सही है कि तमिलनाडु के मुख्य सचिव ने इस संबंध में हमें एक पत्र भेजा है।”
तमिलनाडु के मुख्य सचिव के. ग्नानदेसिकन ने दो मार्च को गृह मंत्रालय को एक पत्र भेजा था जिसमें कहा गया था कि तमिलनाडु सरकार को दोषियों से रिहाई के संबंध में याचिकाएं मिली है कि उन्होंने जेल में 20 वर्ष से ज्यादा का समय काट लिया है। सरकार ने सात दोषियों की याचिकाओं पर विचार करने के बाद उनकी उम्रकैद की सजा को माफ करने का निर्णय लिया है क्योंकि वे 24 वर्ष जेल में काट चुके है। इस पत्र को लेकर कांग्रेस ने अगले दिन संसद में काफी हंगामा किया था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि यह अनुचित मांग है क्योंकि जिनकी रिहाई की मांग की जा रही है उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या का दोषी ठहराया गया है। इस पर गृह मंत्री ने सदन में कहा था, “हमें तमिलनाडु सरकार के मुख्य सचिव से कल एक पत्र मिला और सरकार इस पर विचार कर रही है। हम यह स्पष्ट करना चाहेंगे कि दोषी वे लोग हैं जिन्होंने देश के प्रधानमंत्री की हत्या की। हम पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का पालन करने की संवैधानिक जिम्मेदारी है।” वर्ष 2014 में भी तमिलनाडु सरकार ने ऐसी ही याचिका दायर की थी जिसका तब केन्द्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में विरोध किया था। इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि केन्द्र की सहमति के बिना रिहाई नहीं की जाएगी। गौरतलब है कि तमिलनाडु में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई तमिलों के बीच काफी भावनात्मक मुद्दा है।

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