नयी दिल्ली 28 अप्रैल, सरकार ने चीन के असंतुष्ट उइगर समुदाय के नेता डोल्कुन ईसा के वीसा को रद्द करने के बाद चीनी असंतुष्ट नेता रे वाँग और लू जिन्गुआ के वीसा रद्द करने की बात स्वीकार की है और इसके पीछे तकनीकी कारण बताये हैं। आधिकारिक सूत्रों ने रे वाँग और लू जिन्गुआ के वीसा रद्द किये जाने की रिपोर्टों पर संवाददाताओं के सवालों के जवाब में बताया कि गृह मंत्रालय को इन दोनों मामलों में जो तथ्य मिले हैं, उनमें तकनीकी कारण सामने आयें हैं। सुश्री लू जिन्गुआ के मामले में उनके दस्तावेज ‘अस्पष्ट’ पाये गये हैं और यात्रा के मकसद के बारे में अनिश्चितता झलकती है। सूत्रों ने बताया कि जहां तक रे वाँग का सवाल है कि उनके दस्तावेजों के विवरण में असंगतता पायी गयी है। ऐसी दशा में दोनों को वीसा नहीं दिये गये हैं। उन्हें दोबारा वीसा दिये जाने का सवाल ही नहीं उठता है। मीडिया रिपोर्टों में हाँगकाँग स्थित कार्यकर्ता रा वाेंग काे भी वीसा नहीं दिये जाने की बात कही गयी है। लेकिन इस बारे में सूत्रों ने कुछ नहीं बताया।
इन सभी लोगों को 28 अप्रैल को धर्मशाला में दलाई लामा से मुलाकात करनी थी। इससे पहले विदेश मंत्रालय ने नियमित प्रेस ब्रीफिंग में डोल्कुन ईसा के वीसा को रद्द करने के लिये चीन के दबाव की बात को खारिज करते हुए कहा कि ईसा के वीसा आवेदन में सही जानकारी नहीं देना ही उनके वीसा को रद्द करने का कारण बना। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने यहां नियमित ब्रीफिंग में ईसा के वीसा विवाद के बारे में पूछे जाने पर कहा कि ईसा ने इंटरनेट के माध्यम से ई-पर्यटक वीसा के लिये आवेदन किया था जो उन्हें दे दिया गया। उसके बाद उन्होंने मीडिया के सामने आ कर ऐलान किया कि वह धर्मशाला में किसी सम्मेलन में हिस्सा लेेने जा रहे हैं। पर्यटक वीसा धारक के लिये सम्मेलन में भाग लेने की अनुमति नहीं है। सम्मेलन के लिये अलग श्रेणी का वीसा दिया जाता है। उसी समय सरकार के ध्यान में लाया गया कि उनके विरुद्ध इंटरपोल का रेडकॉर्नर नोटिस भी जारी है। श्री स्वरूप ने कहा कि भारत की वीसा नीति सुस्पष्ट है। उसके दिशा निर्देशक सिद्धांतों के आधार पर ईसा का वीसा रद्द किया गया है। इसके लिये किसी का कोई दबाव नहीं था।

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