बहुगुणा व हरक की बढ़ सकती हैं मुश्किलें - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


रविवार, 15 मई 2016

बहुगुणा व हरक की बढ़ सकती हैं मुश्किलें

bahuguna-and-harak-may-get-in-trouble
देहरादून 14 मई, उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के दौरान कांग्रेस के निशाने पर रहे श्री विजय बहुगुणा और श्री हरक सिंह रावत के लिए बेनाम संपत्ति और अवैध कब्जों को लेकर मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। कांग्रेस ने बेनामी संपत्ति और अवैध कब्जों को लेकर दोनों नेताओं को कटघरे में खड़ा किया था, लेकिन अब आर्थिक अपराध शाखा के गठन के बाद पूरी उम्मीद है कि इन दोनों बागी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई तेजी के साथ की जाएगी। इन दोनों बागी नेताओं के कारण ही श्री हरीश रावत सरकार को सत्ता से बेदखल होना पड़ा था और उन्हें राष्ट्रपति शासन के तौर पर सियासी बनवास भोगना पड़ा था। श्री हरीश रावत ने सत्ता में वापसी के बाद ही संकेत दे दिए हैं, कि बागी नेताओं की संपत्ति की जांच कराई जाएगी और अवैध कब्जे करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। राज्य में आर्थिक अपराधा शाखा का गठन किया गया है, इसके जरिए उन नेताओं पर शिकंजा कसा जा सकेगा। 

सूत्रों के अनुसार इन नेताओं में विजय बहुगुणा और हरक सिंह का नाम पहले पायदान पर था, जिनके कारण उन्हें दो माह का सियासी बनवास भोगना पड़ा था। सत्ता संभालते ही इन नेताओं की कुंडली खंगालने का काम शुरू हो चुका है और इसके लिए एसआईटी का गठन भी कर दिया गया है। ऐसे में इन नेताओं में बेचैनी देखने को मिल रही है। उनका मानना है कि हरीश रावत सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई जरूर करेगी और वह उन्हें फंसाने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देगी। श्री रावत ने पूर्व में ही कह दिया था कि सत्ता में अगर वह वापस आते हैं तो ब्लैकमेलिंग में लिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई होगी और इस परिपाटी पर यहीं विराम लगा दिया जाएगा। श्री रावत केन्द्रीय जांच ब्यूरो की जांच में फंसे बागी नेताओं पर निशाना साधकर इसकी तपिश को कम करने की कोशिश करेंगें और विरोधियों को पटखनी देने का प्रयास करेंगे। इन नेताओं के अलावा भाजपा के कुछ और नेता भी हरीश रावत सरकार की जांच के दायरे में आएंगें, जिनके ऊपर बेनामी संपत्ति जुटाने के आरोप लगते रहे हैं। ऐसे में इसकी आंच भाजपा तक भी पहुंचेगी।

कोई टिप्पणी नहीं: