पटना, 4 मई , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव सत्य नारायण सिंह ने कहा कि भाजपा के वरिष्ठ नेता और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुषील कुमार मोदी को बेसिर-पैर की बातें करने की आदत बन गई है। सुषील मोदी कहते हैं कि जे.एन.यू. छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार के बिहार में दो दिनों के कार्यक्रम की हवा निकल गई। अरे, हवा तो निकल गई भाजपा की उस साजिष की जो कन्हैया कुमार के पटना के कार्यक्रम को वाधित करने के लिए तैयार की गई थी। देखने वाले देखे होंगे कि श्रीकृष्ण मेमोरियल हाॅल कन्हैया कुमार के सुनने वालों से खचाखच भरा था और श्रोता तभी हाॅल से बाहर निकले जब पूरा कार्यक्रम समाप्त हो गया। भाजपा नेताओं की साजिष धरी की धरी रह गई।
हमें लगता है कि सुषील मोदी का मानसिक संतुलन भी कुछ बिगड़ गया है। वे कहते हैं कि वामपंथी दलों की इतनी क्षमता नहीं है कि श्रीकृष्ण मेमोरियल हाॅल में कोई कार्यक्रम कर सके। वैसे वर्षों से उन्होंने कोई कार्यक्रम किया नहीं। मोदी जी याद कीजिये विधान चुनाव के ठीक पहले वामपंथ की ओर से एक राजनीतिक जन कन्वेंषन आयोजित किया गया था। वह कार्यक्रम उसी श्रीकृष्ण मेमोरियल हाॅल में आयोजित था। उसके पूर्व भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का छह दिवसीय 21 पार्टी कांग्रेस भी उसी श्रीकृष्ण मेमोरियल हाॅल में आयोजित की गई थी। ये सभी कार्यक्रम राज्य की आम जनता के आर्थिक सहयोग से आयोजित हुए। बिना जनाधार का यह कैसे संभव था। हाँ, लोकसभा चुनाव के दौरान नरेन्द्र मोदी की सभाओं के आयोजन पर करोड़ों रूपये खर्च हुए। यह किनका पैसा था? सुषील मोदी को मालूम नहीं है तो अपनी पार्टी के आकाओं से पूछ लें। माफियाओं, तस्करों, मुनाफाखोरों, कालाबाजारियों और कारपोरेट घरानों के पैसे से भाजपा नेताओं के कार्यक्रम आयोजित होते हैं। वामपंथियों के कार्यक्रम तो आम जनता के चन्दे के पैसे से आयोजित होते हैं। वामपंथ, खासकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी माफियाओं, तस्करों, मुनाफोखोरों, कालाबाजारियों आदि जैसे तत्वों के खिलाफ सदा लड़ती रहती है। वे वामपंथ के हमदर्द कैसे हो सकते हैं?
सच तो यह है कि बिहार में शराब माफियाओं का विकास और विस्तार तो उस काल में हुआ जब सुषील कुमार मोदी बिहार के उपमुख्यमंत्री थे। उस अवधि में शराब घोटाले का मामला प्रकाष में आया तो वामपंथ ने उसकी उच्चस्तरीय जाँच की। मांग की मगर सुषील मोदी जैसे सत्ता में बैठे लोग शराब माफियाओं को बचाने के लिए घोटाले का खुलाषा होने नहीं दिया। आज मुख्यमंत्री नीतीष कुमार की पहल पर बिहार सरकार ने बिहार में पूर्ण शराबंदी लागू कर दी है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और उससे जुड़े सभी जनसंगठन शराबबंदी का समर्थन करते हैं। इस शराबबंदी से राज्य के आम लोगों को काफी भला होगा। हाँ, शराब माफियाओं की कमाई पर जरूर चोट पड़ेगी। भाजपा इसी से तिलमिला गई है कि वर्षों से उसके पाले हुए शराब माफियाओं की कमाई पर चोट हो रही है। भाजपा चाहती है कि बिहार में शराब का धंध चालू रहे। लेकिन व्यापक जन समर्थन को देखते हुए उसको हिम्मत नही हो रही है कि शराब बंदी के खिलाफ और शराब माफियाओं के पक्ष में सड़क पर उतरे। इसलिए अपने इस गुप्त एजेंडे को कन्हैया कुमार के कंधे पर लादने की साजिष कर रही है।
जेल से जमानत पर छुटने के बाद कन्हैया कुमार का विभिन्न राज्यों में कार्यक्रम हो रहा है। देष भर में कन्हैया कुमार को व्यापक समर्थन मिल रहा है। समाज के विभिन्न हिस्से के लोग केन्द्र सरकार और संघ परिवार के खिलाफ गोलबंद होने लगे हैं। नरेन्द्र मोदी की सरकार और संघ परिवार इसको अपने लिए खतरे की घंटी समझ रहा है। इसीलिए हर जगह कन्हैया के कार्यक्रम को बांधित करने की इनकी सुनियोजित साजिष हो रही है। यह साजिष पटना में भी रची गई थी। लेकिन बिहार की जनता ने कन्हैया कुमार को अपार समर्थन देकर भाजपा और संघ परिवार की साजिष को रौंद दिया ।

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