पटना, 8 मई, जनता दल यूनाईटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीष कुमार के उस वक्तव्य से मुझे बहुत दुख और आष्चर्य हुआ, जिसमें उन्होंने कहा है कि सी.पी.आई. और सी.पी.आई. (एम) भाजपा को मदद पहुँचाते हैं। नीतीष कुमार ने यह वक्तव्य तब दिया जब वे केरल विधान सभा चुनाव के अपने पार्टी उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार करने के लिए केरल के दौरे पर गये थे। उन्होंने कहा कि वामदल बिहार में महागठबंधन में शामिल नहीं हुए और उन्होंने भाजपा को लाभ पहुँचाया। केरल में भी वामदल बिहार की तरह ही भाजपा को फायदा पहँुचा रहे हैं।
चुनाव प्रचार के दौरान हर राजनीतिक दल को अपने प्रतिद्वन्दी की आलोचना करने का पूरा अधिकार है। केरल विधान सभा चुनाव में नीतीष कुमार ने अपने इस अधिकार का प्रयोग करते हुए वामदलों पर गंभीर आरोप लगाया है। लेकिन किसी राजनीतिक दल पर आरोप लगाते हुए जग-जाहिर तथ्यों को भुला दिया जाय यह नीतीष कुमार जैसे राष्ट्रीय नेता के लिए उचित नहीं हैं। बिहार में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी सांप्रदायिक जनसंघ या उसके बदले हुए नये नाम भारतीय जनता पार्टी को फायदा पहँुचाने के लिए 1967 के बाद कभी भी उसके साथ राजनीतिक गठबंधन नहीं किया। दूसरी ओर नीतीष कुमार चाहे जिस भी पार्टी में रहे हों, जनसंघ और बाद में भाजपा के साथ राजनीतिक गठबंधन बनाकर किसको फायदा पहुँचा रहे थे? नीतीष कुमार की पार्टी केन्द्र की और बिहार की जनता पार्टी की सरकार में शामिल रही जिसमें जनसंघ भी शामिल था। लगभग आठ वर्षों तक अटलबिहारी वाजपेयी की सरकार में वे मंत्री रहे उसके बाद बिहार में लगभग सत्रह सालों तक भाजपा के साथ सरकार चलाये। केरल के मतदाताओं के समक्ष अगर वे यह तथ्य रख देते तो भाजपा और जदयू के बारे में उन्हें विचार करने में मदद मिलती लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
मैं माननीय मुख्यमंत्री नीतीष कुमार से यह जानना चाहता हँू कि जब आपके विचार में वामदल भाजपा को फायदा पहुँचा रहे हैं तो फिर आपकी पार्टी (जदयू) ने जीतन राम मांझी की सरकार के लिए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से किस विचार से समर्थन मांगा और समर्थन लिया भी? इतना ही नहीं, जीतनराम मांझी की जगह आप स्वयं मुख्यमंत्री बने तो भी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से आपकी पार्टी ने किस विचार से समर्थन मांगा और समर्थन लिया? इसके अतिरिक्त लोकसभा चुनाव 2014 में आपकी पार्टी सीपीआई के साथ गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ी।
रही बात विधान सभा चुनाव में महागठबंधन में नहीं शामिल होने की तो आप भी इस बात से सहमत होंगे कि चुनाव लड़ने के बारे में हर राजनीतिक दल का अपना अपना सिद्धांत और रणनीति होती है। किसी दूसरे दल की चैधराहट में कोई दल चुनाव के बारे में अपना निर्णय नहीं लेता । भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और अन्य वामदल आपस में मिलकर चुनाव लड़े। इसका मतलब यह नहीं कि वामदल भाजपा को फायदा पहुँचाने के लिए महागठबंधन से अलग रहें।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी सांप्रदायिक एवं फासिस्ट शक्तियों के खिलाफ राजनीतिक और वैचारिक मोर्चों पर लड़ती रही है और आज भी लड़ रही है। हम सांप्रदायिक शक्तियों के खतरे को कभी भी कम करके नहीं देखते हैं। इसीलिए वाम-जनवादी -सेक्यूलर शक्तियों की एकता के हम पक्षधर हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें