नयी दिल्ली, 07 मई, रिजर्व बैंक (आरबीअाई) के गवर्नर रघुराम राजन ने आज कहा कि जहाँ एक ओर देशों की बीच असमानता कम हो रही है, वहीं देशों के अंदर असमानता बढ़ रही है और सभी योग्य लोगों के लिए शिक्षा सुलभ बनाने के वास्ते इसका खर्च आम लोगों के वहन करने लायक बनाया जाना जरूरी है। श्री राजन ने आज यहाँ शिव नादर विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुये कहा कि अनुसंधान से संबद्ध विश्वविद्यालयों में आम कॉलेजों के मुकाबले पढ़ाई ज्यादा खर्चीली है और फिलहाल यही स्थिति बनी रहेगी। उन्होंने कहा “जब तक हम तकनीक और लोगों (शिक्षकों) का एक साथ बेहतर उपयोग करना नहीं सीख लेते अच्छे अनुसंधान विश्वविद्यालयों में शिक्षा महँगी बनी रहेगी। सभी योग्य छात्रों के लिए इसे सुलभ बनाने की जरूरत के मद्देनजर हमें डिग्री का खर्च लोगों के वहन करने लायक बनाना होगा।”
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि इस समस्या के दो समाधान हैं। समाधान का पहला हिस्सा बैंकों से शिक्षा ऋण उपलब्ध कराना है। लेकिन, इसमें यह भी ध्यान देने की जरूरत है कि शिक्षा ऋण की भरपाई वही लोग कर पाते हैं जो साधन संपन्न होते हैं। जिनकी आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है या जो पढ़ाई के बाद कम वेतन वाली नौकरी पाते हैं उनके ऋण पूर्ण या आंशिक तौर पर माफ करने होते हैं। दूसरा समाधान है परोपकार; सिर्फ विश्वविद्यालय के संस्थापकों द्वारा ही नहीं, इसके पूर्व छात्रों द्वारा भी। श्री राजन ने देश में पूर्व छात्रों द्वारा दान की परंपरा विकसित करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि छात्रवृत्ति या दूसरी तरह की छूट लेकर पर पढ़ाई करने वाले बाद में अपनी कमाई से मौजूदा या आने वाले छात्रों की छात्रवृत्ति का इंतजाम कर सकते हैं। श्री राजन ने कहा कि साधन संपन्न परिवार में जन्मे लोगों काे इसका फायदा मिलता है तथा सुव्यवस्थित अर्थव्यवस्थाएँ भी उनके हित में दिखती हैं। इस प्रकार देशों के अंदर विषमता बढ़ रही है।

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