झारखण्ड : कानून-व्यवस्था को सामान्य बनाये रखने का निदेश - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 14 मई 2016

झारखण्ड : कानून-व्यवस्था को सामान्य बनाये रखने का निदेश

  • झामुमों व अन्य समर्थित पार्टियों द्वारा स्थानीयता नीति के विरोध में 14 मई को प्रस्तावित बंदी के दौरान कानून-व्यवस्था को सामान्य बनाये रखने का आयुक्त ने विभिन्न जिलों के डीसी, एसपी को दिया निदेश 

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स्थानीय नीति के विरोध में 14 मई 2016 को प्रस्तावित बंद के दौरान कानून व्यवस्था को सामान्य बनाये रखने का निदेश  सभी 6 जिलों के उपायुक्तों व पुलिस अधीक्षकों को दे दिया है। आयुक्त संताल परगना प्रमण्डल, दुमका बालेश्वर सिंह ने कहा बंद के दौरान जन साधारण को किसी प्रकार की दिक्कत या कठिनाई न होने देना आपकी अहम् जिम्मेदारी है। सभी डीसी, एसपी यह सुनिश्चित करें कि कहीं भी आगजनी व सड़क जाम की घटना न हो। हिंसात्मक कार्रवाई करने वाले संभावित व्यक्ति के विरुद्ध लंबित वारंट का तामिला करें तथा निरोधात्मक कार्रवाई के तहत आईपीसी की धारा 107,116 तथा 151 जो सुसंगत हो, के द्वारा कार्रवाई करें। आयुक्त ने कहा कि समाज मे यह स्पष्ट संदेश जाना चाहिये कि कानून हाथ में लेने वालों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जायेगी। आयुक्त ने आम जनता से भी अपील करते हुए कहा है कि वे विधि-व्यवस्था को बनाये रखने में प्रशासन को सहयोग करें। उप राजधानी दुमका के तमाम प्रखण्डों के प्रखण्ड विकास पदाधिकारियों,  अंचल अधिकारियों व  थाना प्रभारियोें को स्पष्ट व सख्त निदेश दिया गया है कि कानून को अपने हाथ में लेने वालों के विरूद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाय। ऐसे लोग चाहे कितने भी बड़े रसूख वाले क्यों न हों कानून के खिलाफ काम करेगें तो उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। दिन गुरुवार की सुबह 7ः30 बजे अपने आवासीय हाॅल में डीसी दुमका राहुल कुमार सिन्हा ने पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा। 

बाद में प्रेस प्रतिनिधियों से बात करते हुए उन्होनें कहा गांव की बात हो या फि शहर की। कानून अपने हाथ में न लें। विदित हो झारखण्ड में स्थानीयता शब्द को परिभाषित करने के लिये बनाए गए कट आॅफ डेट व अन्य के मद्देनजर विपक्षी पार्टी झामुमों द्वारा 14 मई को झारखण्ड बंद का आहवान किया गया है। झामुमांे की इस बंदी का झाविमों ने अपना समर्थन दिया है जबकि अन्य छोटी-छोटी पार्टियों ने भी झामुमों को बिना समर्थन दिया है। डीसी श्री सिन्हा ने कहा कि ऐसे लोग जो 14 मई को बंद के दौरान अव्यवस्था फैला सकते हैं और जिसकी वजह से शांति भंग की संभावना बढ़ सकती है के विरुद्ध सुसंगत धाराओं 107, 116 और 151 के तहत कार्रवाई की जाएगी। डीसी श्री सिन्हा ने सभी थानेदारों को निदेश देते हुए कहा कि बंदी के दौरान ऐसे लोगों के द्वारा घटना को अंजाम तक पहुँचाने से पहले ही गिरफ्तार करें। बड़ी आसानी से कानून हाथ में लेने वालों को कानून के डर का भी अहसास होना चाहिए। डीसी श्री सिन्हा ने कहा कि बल पूर्वक बन्द कराना अपराध है। पूरे जिले में चप्पे-चप्पे पर हेण्डकेेम /सीसीटीवी केमरा मौजूद होगा। उन्होनें कहा अवांछित तत्वों  चिन्हित कर लिया जाएगा। सरकार की नीतियों एवं निर्णयों के विरोध का तरीका लोकतांत्रिक होना चाहिए। किसी को भी जबरन बन्द कराने, आम नागरिकों में खौफ पैदा करने और कानून अपने हाथ में लेने की छूट नहीं दी जा सकती है। ऐसी मंषा के लोग कार्रवाई के लिए तैयार रहें। 

उपायुक्त ने कहा कि सोषल मीडिया पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनी रहेगी किन्तु इसका यह मतलब नहीं कि किसी को अफवाह फैलाने और जिले की शांति व्यवस्था बिगाड़ने की छूट दे दी गई है। गलत खबर या अफवाह होने पर एडमिन की जिम्मेदारी होगी कि वे तत्काल ग्रुप मंे उसका खंडन करें। अन्यथा आईपीसी और आईटी एक्ट के तहत पुलिस कार्रवाई करेगी। दुमका के एसपी विपुल शुक्ला ने सभी वीडीओ, सीओ और थाना प्रभारियोें को कहा कि रियेक्शन नहीं एक्शन मोड में आयें। घटना होने के पहले ही कार्रवाई करें। एसपी ने कहा कि कानून हाथ में लेने वालों तथा शहर की शांति व्यवस्था बिगाड़ने वालों के विरूद्ध दंगाई होने तथा महत्वपूर्ण धाराओं के साथ गुन्डा पंजी में उनका नाम अंकित करें। जिनका नाम गुन्डा पंजी में एक बार चला जायेगा नौकरी सहित पासपोर्ट, लाईसेंस, सरकारी सुविधाओं, ठेकेदारी व स्वच्छता इत्यादि मामलों में कभी नहीं आ पाऐगें। उन्होनें कहा कि शहर में कहीं भी जाम की स्थिति ना हो, शांति समिति के लोगों के साथ बैठक कर लें तथा सभी लोग इस बात में सहयोग करें की शहर की शांति व्यवस्था बनी रहे। स्ंाताल परगना प्रमण्डल अन्तर्गत तमाम छः जिलों के उपायुक्तों की अहम बैठक में आयुक्त ने कहा किसानों व विस्थापितों के हक में निर्णय शीघ्र होंः- किसानों व विस्थापितों के हक में निर्णय शीघ्र लिया जाना चाहिए। अपनी अध्यक्षता में संताल परगना प्रमण्डल के तमाम जिलों के उपायुक्तों की एक अहम बैठक में आयुक्त बालेश्वर सिंह ने उपरोक्त बातें कही। अविक्रयशील रैयती कृषि भूमि के मूल्य निर्धारण पर जारी सरकार की अधिसूचना के अनुरूप प्रमंडलीय आयुक्त की अध्यक्षता में गठित समिति जिनके सदस्य सभी 6 जिलों के उपायुक्त हैं, को न्यूनतम मूल्य निर्धारण के लिए अधिकृत किया गया है। दिन बुधवार को समिति की पहली बैठक आयुक्त के सभागार कक्ष में हुई। बैठक में आयुक्त व सभी उपायुक्तों के साथ-साथ  सभी अपर समाहत्र्ता भी मौजूद थे। आयुक्त बालेश्वर सिंह ने कहा कि सरकार ने न्यूनतम मूल्य निर्धारण हेतु मार्गदर्शक सिद्वान्त अधिसूचित किये हैं। ऐसे अंचल जहाँ विक्रयशील/ आविक्रयशील दोनों प्रकार की कृषि भूमि हो, अंचल के सभी विक्रयशील मौजों के निर्धारित न्यूनतम कृषि मूल्य को अवरोही रूप से क्रमबद्ध किया जायेगा। उच्च मूल्य वाले कुल मौजों में से कम से कम आधी संख्या के मौजों का औसत मूल्य को निर्धारित किया जायेगा जो उस अंचल के सभी मौजों की अविक्रयषील कृषि भूमि का प्रति डिसमिल न्यूनतम मूल्य माना जायेगा। आयुक्त ने कहा कि ऐसे अंचल जहाँ केवल अविक्रयषील कृषि भूमि हो वहाँ केवल अविक्रयषील कृषि भूमि हो वहाँ़ सीमावर्ती अंचल की विक्रयषील कृषि भूमि के न्यूनतम मूल्य के आधार पर अविक्रषील कृषि भूमि का न्यूनतम मूल्य निर्धारित किया जायेगा। यह सीमावर्ती अंचल इसी जिले का, इसी प्रमंडल का इस प्रमंडल और झारखण्ड के सीमावर्ती दूसरे राज्य का सीमावर्ती अंचल हो सकता है बालेष्वर सिंह ने सभी उपायुक्तों को स्पष्ट किया कि यदि सीमावर्ती अंचल एक से अधिक हो तो सबको अवरोही क्रम में औसत मूल्य निर्धारित किया जायेगा तथा अधिकतम औसत वाले मूल्य को उस अंचल के सभी मौजों का न्यूनतम मूल्य माना जायेगा। आयुक्त ने यह भी कहा कि यदि सीमावर्ती अंचल में भी विक्रयषील भूमि ना हो तब सबसे समीपवर्ती विक्रयषील कृषि भूमि वाले अंचल चाहे वह उसी जिला, उसी प्रमंडल या किसी अन्य प्रमंडल का जिला या बिहार राज्य का जिला जो इस प्रमंडल की सीमा पर अवस्थित हो, का चयन यह समिति करेगी। 

आयुक्त बालेष्वर सिंह ने कहा कि उपज के आधार पर अविक्रयषील भूमि का बाजार मूल्य निर्धारण हेतु राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के पत्रांक 292 दिनांक 26 मार्च 2011 में वर्णित धानी 1 भूमि के मूल्य निर्धारण की पद्धति के अनुसार भूमि का मूल्य निर्धारित किया जायेगा। मूल्य निर्धारण में विगत 30 वर्षों के उपज को अधार बनाते हुये बिरसा कृषि विष्वविद्यालय के वर्ष 2011-12 में आय मूल्य (प्राॅफिट वेल्यू) की अनुषंसा को भारत सरकार का न्यूनतम समर्थन मूल्य तथा मुद्रा स्फीति के अनुसार समायोजित किया जोयगा। आयुक्त ने सबों को उदाहरण से समझाते हुए कहा कि धानी-। का मूल्य - (20,000 रू0 $ 13000रू0) ग 30 ग (1$गणना वर्ष से गेहूँ एवं धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में हुई कृषि का प्रतिषत) होगा।  आयुक्त ने कहा कि धानी-।। एवं धानी-।।।, बारी-। एवं बारी-।। का बाजार मूल्य पूर्व की पद्धति से तथा बारी-।। का मुआवजा धानी-।।। के अनुसार होगा। आयुक्त ने बताया कि धानी-। का 3/4 धानी-।।, धानी-।, का 1/2 धानी-।।।, धानी-। का 5/8 बारी-। तथा धानी-1 का 1/2 बारी-।। होगा।  आयुक्त ने कहा कि खतियान में वर्णित भूमि की श्रेणी के अनुसार भूमि की श्रेणी निर्धारित की जायेगी यदि कृषि भूमि पर आवासीय या व्यवसायिक भवन निर्मित हो तो उसे आवासीय (होमस्टीड) माना जायेगा। आयुक्त ने यह भी कहा कि आम कटहल आदि फलदार वृक्ष का मुआवजा उनके बीस साल की उत्पादकता के आधार पर तय किया  जायेगा।  आयुक्त ने इस बात पर बल दिया कि जो भी अधिक मूल्य प्राप्त होगा उस मूल्य को भूमि अधिग्रहण के लिए अविक्रयषील भूमि का बाजार मूल्य माना जाये ताकि किसानों को अधिक से अधिक मुआवजा प्राप्त हो सके।  आयुक्त ने कहा कि एक सप्ताह में सभी अपना-अपना प्रस्ताव तैयार कर लें ताकि अगली बैठक में निर्णय लिया जा सके।  आयुक्त ने यह भी कहा कि पूर्व की अधिसूचना 1336 28 अक्टूबर 2015 के द्वारा कोई अवार्ड घोषित किया गया है तो उसे निरस्त मानते हुए इसी प्रक्रिया से निर्धारण किया जाय।  आयुक्त ने प्रमंडल के सभी जिलों के राजस्व संग्रहण के सभी मामलों की समीक्षा करते हुए कहा कि राजस्व संग्रहण राज्य के आय का महत्वपूर्ण स्त्रोत है। अतः इस पर सभी उपायुक्त ध्यान दें। बैठक में आयुक्त के अलावा दुमका के उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा, पाकुड़ के उपायुक्त डीसी मिश्रा, साहेबगंज के उपायुक्त उमेष प्रसाद सिंह, जामताड़ा के उपायुक्त डाॅ0 शान्तनु कुमार अग्रहरी, सभी अपर समाहत्र्ता तथा अन्य प्रमंडलस्तरीय अधिकारी उपस्थित थे। 



-अमरेन्द्र सुमन-

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