चौपालों में बैठने पर दिल से बनती हैं योजनाएं : रमन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 8 मई 2016

चौपालों में बैठने पर दिल से बनती हैं योजनाएं : रमन

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रायपुर 08 मई, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने कहा है कि आम जनता के लिए सरकार की योजनाएं मंत्रालय के वातानुकूलित कमरों में दिमाग से तो बन सकती हैं, लेकिन जब हम चौपालों में गांव वालों के बीच बैठकर योजनाएं बनाते हैं तो ऐसी योजनाएं न सिर्फ दिमाग से बल्कि दिल से बनती हैं। डा.सिंह ने आज आकाशवाणी से प्रसारित अपनी मासिक वार्ता ’रमन के गोठ’ की 9वीं कड़ी में प्रदेश व्यापी लोक सुराज अभियान का उल्लेख करते हुए कहा कि चौपालों में होने वाली चर्चाएं हमारे लिए भविष्य का एजेंडा बन जाती हैं, जिनका हम शत-प्रतिशत पालन करते हैं।

उन्होंने कहा कि हमने जितनी भी योजनाएं चौपालों में बनाई हैं, उन्हें अच्छी सफलता मिली है। अब तक ऐसी सबसे सफल योजनाओं में मुख्यमंत्री बाल हृदय सुरक्षा योजना, चावल उत्सव, लघु वनोपजों की खरीदी और तेन्दूपत्ता संग्राहकों को चरण पादुका वितरण उल्लेखनीय हैं। उन्होने कहा इस गर्मी में गांवों में जाने के लिए अधिकारियों और कर्मचारियों का भी हिम्मत और हौसला बढ़ाने के लिए हमने तय किया कि मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री, विधायक, सांसद और जिला पंचायत के सदस्य तथा मुख्य सचिव से लेकर सभी अधिकारी भी लोक सुराज अभियान के दौरान गांवों में जाएंगे। डॉ.सिंह ने कहा कि इस अभियान के तहत ब्लॉक मुख्यालयों और जिलों में होने वाली समीक्षाओं में भी नई योजनाओं का जन्म होता है। स्वयं के काम-काज का आंकलन करने की दृष्टि से भी यह अभियान सबसे बड़ा जरिया है कि हम कहां असफल रहे, किन योजनाओं में हम पीछे हैं और उनके क्रियान्वयन में निचले स्तर पर क्या कमियां हैं। उन कमियों को दूर करने का यह एक बेहतर उपाय है।

मुख्यमंत्री ने रमन के गोठ में इस बार के लोक सुराज अभियान के अपने बस्तर अंचल के दौरे की कई यादगार घटनाओं का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि..हमने गरीबों को चावल देने की योजना शुरू की और जब उन्हें चावल बांटते हैं तो लोगों को पता नहीं कितनी खुशी होती है, लेकिन दंतेवाड़ा जिले के ग्राम कारली में किसानों ने जब मुझे कांवर और पोटली में जैविक खेती का चावल भेंट किया तो मैं भावुक हो गया और मुझे लगा कि छत्तीसगढ़ के किसानों का परिश्रम है और उनकी आत्मीयता है..।मुख्यमंत्री ने ग्राम कारली में ’मोचोबाड़ी’ योजना के तहत किसानों के समूह द्वारा की जा रही जैविक खेती की जमकर तारीफ की। उन्होने रेडियो प्रसारण में प्रदेश नक्सल हिंसा पीड़ित सुकमा जिले के भेज्जी-इंजरम मार्ग में लोक सुराज अभियान के तहत मोटर साईकिल से सड़क निरीक्षण का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इस सड़क के निर्माण में सुरक्षा देने वाले हमारे सात जवान शहीद हुए। उस रास्ते में 50 से ज्यादा आई.डी. निकाले गए, तो मुझे लगा कि मोटर साईकिल से चलकर यह अनुभव किया जाए कि उस शहादत को हम कैसे सलाम कर सकते हैं। मैंने वहां के लोगों से वादा किया है कि 28 किलोमीटर की यह कांक्रीट की सड़क जब पूरी तरह से बन जाएगी, तब मैं एक बार फिर वहां आउंगा। भेज्जी गांव के 75 परिवार नक्सल हिंसा से पीड़ित थे, जो वापस आकर फिर भेज्जी में बसे हैं। उनसे मिलकर मुझे लगा कि कोई गांव वापस कैसे बसता है। डॉ. सिंह ने अपनी अबूझमाड़ यात्रा का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उस क्षेत्र के 53 गांवों तक मैंने बिजली पहुंचाने की घोषणा की तो वहां के ग्रामीणों के चेहरों की चमक देखकर मुझे लगा कि अबूझमाड़ इसका इंतजार कर रहा था। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि इस बार के लोक सुराज में मुझे राज्य के बीजापुर जिले में महाराष्ट्र की सीमा से लगे तिमेड़ गांव भी जाने का अवसर मिला, जहां लगभग 250 करोड़ रूपए की लागत से बन रहे पुल को लेकर छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के लोगों में काफी उत्साह है।यह पुल न केवल इन दोनों राज्यों, बल्कि आंध्रप्रदेश को भी जोड़ेगा।इस अनुभव को हम लोगों ने ग्रामीणों के साथ साझा किया।

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