नयी दिल्ली 11 मई डेढ़ महीने से अधिक की राजनीतिक उठापटक और कानूनी दांव पेंच के बाद उत्तराखंड से आज राष्ट्रपति शासन हटने के बाद हरीश रावत सरकार फिर से बहाल हो गयी है। इससे जहां कांग्रेस में जश्न का माहौल है वहीं इसे भारतीय जनता पार्टी और मोदी सरकार के लिये झटका माना जा रहा है। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने केन्द्रीय मंत्रिमंडल की सलाह पर आज रात उत्तराखंड से राष्ट्रपति शासन हटाने से संबंधित कागजात पर हस्ताक्षर कर दिये।
उच्चतम न्यायालय के आदेश पर कल राज्य विधानसभा में कराये गये शक्ति परीक्षण से रावत सरकार की बहाली तय हो गयी थी लेकिन आज इस पर उस समय मुहर लगी जब एटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने शीर्ष अदालत को बताया कि श्री हरीश रावत ने अपना बहुमत सिद्ध कर दिया है और केंद्र सरकार राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाने जा रही है। इस पर न्यायालय ने केन्द्र सरकार को उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन वापस लेने की मंजूरी दे दी। इसके तुरंत बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से की थी। राज्य में गत 27 मार्च को राष्ट्रपति शासन लगाया गया था।
न्यायामूर्ति दीपक मिश्रा एवं न्यायमूर्ति शिवकीर्ति की पीठ ने आज कहा कि सभी जरुरी औपचारिकताओं के बाद मुख्यमंत्री हरीश रावत अपना कार्यभार संभाल सकते हैं। श्री रोहतगी ने न्यायालय को बताया कि श्री रावत के समर्थन में 33 मत पड़े हैं जबकि विरोध में 28 मत पड़े हैं। उन्होंने कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं कि श्री हरीश रावत ने बहुमत साबित कर दिया है और सरकार उत्तराखंड से राष्ट्रपति शासन हटा रही है।”
राज्य में रावत सरकार बहाल होने का निर्णय आते ही कांग्रेस में जश्न का दौर शुरू हो गया। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर इसे लोकतंत्र की जीत बताया और उम्मीद जतायी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इससे सबक लेंगे। श्री रावत ने न्यायपालिका के प्रति आभार जताया।
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