नयी दिल्ली, 02 मई, रेलवे देश के पर्यावरण को सुधारने के लिए रेलमार्गो के दोनों किनारों पर अपनी जमीन पर ना सिर्फ वृक्षारोपण कराएगी बल्कि पानी की उपलब्धता बढाने के लिए जलाशयों का निर्माण, पुराने जलाशयों का जीर्णोद्धार तथा रेल परिसरों में वर्षाजल संग्रहण के उपाय करेगी । रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने आज यहां रेल मंत्रालय एवं वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के सहयोग से पंजाब और हरियाणा में रेल लाइनों के किनारे वृक्षारोपण संबंधी करार पर हस्ताक्षर किये जाने के मौके पर यह घोषणा की। इस मौके पर केन्द्रीय वन पर्यावरण एवं जल वायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावडेकर तथा हरियाणा के वन मंत्री राव नरबीर सिंह मौजूद थे। श्री प्रभु ने कहा कि रेलवे पर्यावरण को ठीक करने की दिशा में राज्यों के साथ मिलकर काम करेगी। पंजाब और हरियाणा में 95 प्रतिशत सिंचित जमीन होने के बावजूद भूजल स्तर बहुत गिर गया है। वृक्षारोपण से भूजल स्तर सुधारने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि रेलवे ना सिर्फ वृक्षारोपण बल्कि अपनी जमीन पर पानी के सवंर्द्धन के लिए जलाशयों का निर्माण, पुराने जलाशयों के पुनरोद्धार तथा रेलवे परिसरों में वर्षा जल संग्रहण पर ध्यान देगी । उन्होंने कहा कि समुद्र तटीय इलाकों में रेलवे की भूमि पर झाड़ीदार सदाबहार वन लगाने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने इस काम में स्वयं सेवी संगठनों, प्रादेशिक सेना और रेल सुरक्षा बल की मदद लेने का आह्वान किया।
श्री प्रभु ने कहा कि देश के एक तिहाई क्षेत्र में वृक्षारोपण का लक्ष्य है जिसे पिछली वन नीति के कारण प्राप्त नहीं किया जा सका है। उन्होंने कहा कि रेलवे की जमीन अब इस प्रकार से देश के काम आएगी। श्री जावडेकर ने कहा कि यह विडंबना है कि पेड़ लगाने के लिए समझौता करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पहले सरकार की नीति रही है कि 30 प्रतिशत क्षेत्र में वन हैं तो पेड़ काटने की अनुमति सरकार से लेनी पड़ती है जिससे लोग वृक्षारोपण करते ही नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की नीति वन क्षेत्र के बाहर वनीकरण बढ़ाने की है। इसके लिए पुराने नियम को लचीला बनाया जाएगा। लोगों को पेड़ काटने की इजाजत नहीं लेनी होगी । उन्होंने बताया कि रेल मार्गो, राष्ट्रीय राजमार्गो और गंगा नदी के किनारे वृक्षारोपण किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि इसके लिए 7-8 फुट ऊंचे पौधे तैयार करने के लिए नर्सरियां भी विकसित की जाएगीं। उन्होंने कहा कि देश में 40 हजार करोड रूपये की लकड़ी का आयात करना पड़ता है तथा पेड़ काटने की इजाजत का नियम खत्म करने तथा लकड़ी मिल सकेगी तथा पुनर्वृक्षारोपण को भी बढावा मिलेगा।

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