बाल विवाह मे सेवा देने पर होगी 2 वर्ष की सजा एवं एक लाख का जुर्माना
18 वर्ष से कम उम्र की लडकी एवं 21 वर्ष से कम उम्र के लडके का विवाह बाल विवाह की श्रेणी मे आता है। भारतीय संविधान मे बाल विवाह को दण्डनीय अपराध माना गया है। बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत बाल विवाह कराने वाले माता पिता, भाई बहन, एवं परिवारजन सम्मिलित बाराती, एवं सेवा देने वाले जैसे टेंट हाउस, प्रिन्टर्स, ब्यूटी पार्लर, हलवाई, मेरिज गार्डन, घोड़ी वाले, बैंड बाजे वाले, कैटर्स, धर्मगुरू, पण्डित, समाज के मुखिया, आदि के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही की जाने के साथ उन्हे जेल भेजने का प्रावधान भी किया गया है। म0प्र0 शासन की मंषा अनुसार पूरे प्रदेष में बाल विवाह शून्य हो एवं कोई भी बाल विवाह का प्रकरण सामने ना आए इस हेतु पुरे प्रदेष मे लाडो अभियान 2013 से लागू किया गया। जिसके अंतर्गत बाल विवाह रोकने एवं जागरुकता बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है। व सघन अभियान चलाया जा रहा है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 अंतर्गत 18 साल से कम उम्र की लडकी और 21 साल से कम उम्र का लडका बच्चा होता है। बच्चे का विवाह कराना अपराध है। बाल विवाह कराने पर व्यक्ति को जमानत नही मिलेंगी।
बाल विववाह मे दो वर्ष की सजा एवं एक लाख का जुर्माना है। बाल विवाह होने पर कोई भी व्यक्ति इसकी रिपोर्ट पुलिस, बाल विवाह निषेध अधिकारी, प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट और जिला मजिस्ट्रेट को दे सकता है। दुष्परिणाम
जब बच्चांे का विवाह होता है तो उनके शरीर और दिमाग दोनो बहुत कमजोर होते है। लडकिया कम उम्र मे गर्भवती हो जाती है। समय से पूर्व बच्चे पैदा होते है जिससे प्रसव के समय षिषु मृत्यू दर अधिक होती है। कम उम्र मे विवाह से षिक्षा के अधिकारों का हनन होता है। बाल विवाह के कारण बच्चे अनपढ और अकुषल रह जाते है। जिससे उन्हे रोजगार नही मिलता। दोषियों मे निम्नलिखित शामिल लडके लडकी के अभिभावक, पादरी पण्डित मौलवी, दोनों तरफ के रिष्तेदार, समस्त सेवा प्रदाता, सामूहिक विवाह समारोह कराने वाले । संचालनालय महिला सषक्तिकरण से प्राप्त दिषा निर्देषानुसार आगामी 9 मई अक्षय तृतीया जैसे अवसरो पर बाल विवाह होने की प्रायिकता अधिक होती है। इन आयोजनों मे बाल विवाह को रोकने व बाल विवाह की सूचना हेतु जिला मुख्यालय पर कन्ट्रोल रूम बनाया गया। जिसका नंबर 07560221195 एवं विकासखण्ड वार अधिकारी/कर्मचारीयों की ड्यूटी लगाई गई है। साथ ही शासकीय भवनों मंदिरो आदि पर दिवार लेखन किया गया है।

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