15 जनवरी 2016 को बसपा सुप्रीमों मायावती का जन्मदिन था। लेकिन बकौल पत्रकार मेरे मन में बसपा की 2017 विधानसभा चुनावों की तैयारियों को लेकर चंद सवाल थे। इन्हीं सवालों के जवाबों के लिए बसपा के पार्टी दफ्तर में फोन किया कि मायावती से बात हो सके। इन सवालों के जवाब सीधे सीधे जनता तक पहुंच सके। लेकिन फोन अटैंडेंट ने फोन तो रिसीव किया लेकिन जवाब वही पुराना था कि मैडम अभी हैं नहीं। आप अपना नंबर छोड़ दीजिए हम बात करा देंगे। लेकिन उस ओर से फोन नहीं आया। हालांकि ऐसा कई बार हुआ है कि खुद को जनसेवक बताने वाली मायावती से बात करने का प्रयास किया गया है। लेकिन हर दफे प्रयास असफल ही रहे। कहीं न कहीं इस बात से सीधे तौर पर कहा जा सकता है कि मायावती मीडिया से दूरी बनाकर रखती हैं।
मीडिया से दूरी की ये है वजह !
एक मीडिया रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि आखिर मायावती मीडिया से किनारा क्यों रखती हैं। उन्होंने 2012 में एक पत्रकार से कहा था, "मैं इंटरव्यू तो दे दूँ, लेकिन फिर जब कुछ लोग सिफारिशें ले कर पहुँचने लगते हैं तब मुझे ठीक नहीं लगता। इसीलिए मैं इस चक्कर में ही नहीं पड़ती हूँ।" जबकि मीडिया से कई कदमों की दूरी बनाए रखने का मतलब ये नहीं कि मीडिया में इस समय क्या चल रहा है, किसके संदर्भ में क्या प्रकाशित हुआ है।
सजग हैं ''माया''
रिपोर्ट में मायावती की मीडिया के प्रति सजगता को दर्शाते हुए एक वाकये का जिक्र किया गया है। साल 2013 में एक बार मायावती जब लखनऊ हवाई अड्डे पर दिल्ली से पहुंचीं तो उनके स्वागत में कई बसपा नेता पहुंचे। उनमें से एक नेता वे भी थे जिनके जिनके किसी महिला जिला पंचायत अध्यक्ष के साथ कथित घनिष्ठता पर एक स्थानीय अखबार में खबर छपी थी। मायावती ने हवाई अड्डे से निकलते ही उस नेता से पूछा, "आजकल कर क्या रहा है तू? मुझे ये सब पसंद नहीं और दोबारा ऐसी खबर नहीं सुनना चाहती मैं।"
अंबेठ राजन से बातचीत
बहरहाल आज जब हमने बसपा सुप्रीमों मायावती के करीबी माने जाने वाले अंबेठ राजन से बातचीत की तो उन्होंने इस सवाल को कि मायावती मीडिया से दूरी बनाकर चलती हैं को दरकिनार कर दिया। उनका कहना था कि मैडम तो रोज ही पार्लियामेंट में पत्रकारों से बातचीत कर रही हैं। जबकि सुप्रीमों मायावती से फोन पर बात कराने के सवाल में उन्होंने समय न होने का कारण बता दिया।
हालांकि कुछ पत्रकारों का कहना है कि बहुजन समाजवादी पार्टी की सुप्रीमों मायावती की मीडिया के प्रति व्याप्त धारणाओं में कमी आई है। अब मायावती मीडिया से मुखातिब होने लगी हैं। लेकिन इस बात में सच क्या है, झूठ क्या इस बात की हकीकत तो वही बता सकती हैं।

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